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    Sankashti Chaturthi 2025: 10 या 11 सितंबर, कब है विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी? यहां देखें सही तिथि और शुभ योग

    Updated: Tue, 09 Sep 2025 10:56 AM (IST)

    सनातन धर्म में किसी भी शुभ और मांगलिक काम में सर्वप्रथम भगवान गणेश की विशेष पूजा-अर्चना करने का विधान है। भगवान गणेश को चतुर्थी तिथि समर्पित है। वैदिक पंचांग के अनुसार आश्विन माह के कृष्ण पक्ष में विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी मनाई जाती है। ऐसे में चलिए इस आर्टिकल में जानते हैं विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी की डेट (Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2025 date) और शुभ मुहूर्त।

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    Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2025: कैसे करें गणपति बप्पा को प्रसन्न

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की शुरुआत 08 सितंबर से हुई है। सनातन धर्म में इस महीने को बेहद महत्वपूर्ण माना गया है। आश्विन माह में कई पर्व और व्रत किए जाते हैं, जिनमें विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी का पर्व भी शामिल है। इस दिन महादेव के पुत्र भगवान गणेश की पूजा-अर्चना करने का विधान है। साथ ही विशेष चीजों का भोग लगाया जाता है।

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    धार्मिक मान्यता के अनुसार, विधिपूर्वक चतुर्थी व्रत करने से साधक की सभी बाधाएं दूर होती हैं। साथ ही शुभ फल की प्राप्ति होती है।

    विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Vighnaraja Sankashti Chaturthi 2025 Date and Shubh Muhurat)

    इस बार विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी 11 सितंबर को मनाई जाएगी।

    आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत- 10 सितंबर को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट पर

    आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि का समापन- 11 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 45 मिनट पर

    विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी शुभ योग (Vighnaraja Sankashti Chaturthi Shubh Yog)

    ज्योतिषियों के अनुसार, विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी के शुभ अवसर पर कई शुभ योग का निर्माण हो रहा है। इस दिन वृद्धि और ध्रुव समेत शिववास योग बन रहे हैं, जिन्हें बेहद शुभ माना जाता है।

    ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 31 मिनट से 05 बजकर 18 मिनट तक

    विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 23 मिनट से 03 बजकर 12 मिनट तक

    गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 32 मिनट से 06 बजकर 55 मिनट तक

    निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 55 मिनट से 12 बजकर 41 मिनट तक

    विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी पूजा विधि (Vighnaraja Sankashti Chaturthi Puja Vidhi)

    • सुबह जल्दी उठें और स्नान कर पीले कपड़ें पहनें।
    • चौकी पर कपड़ा बिछाकर भगवान गणेश की प्रतिमा विराजमान करें।
    • लाल फूल, दूर्वा, रोली और चंदन अर्पित करें।
    • देसी घी का दीपक जलाएं और आरती करें।
    • व्रत कथा का पाठ करें और मंत्रों का जप करें।
    • गणेश चालीसा का पाठ करें।
    • मोदक और लड्डू का भोग लगाएं।
    • जीवन में सुख-शांति की प्राप्ति के लिए कामना करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।