Shardiya Navratri 2025: किस दिन से शुरू होगा आश्विन का महीना? नोट करें प्रमुख व्रत-त्योहार की सही डेट
शारदीय नवरात्र का त्योहार (ashwin month 2025 start date) देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दौरान जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा और उनके नौ रूपों की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही नवरात्र का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक पर देवी मां दुर्गा की कृपा बरसती है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में आश्विन महीने का खास महत्व है। इस माह के कृष्ण पक्ष में पितरों का तर्पण, श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है। पितृ पक्ष का समापन सर्वपितृ अमावस्या के दिन होता है। आसान शब्दों में कहें तो आश्विन अमावस्या के दिन पितृपक्ष समाप्त होता है।
पितृ पक्ष के अगले दिन से शारदीय नवरात्र की शुरुआत होती है। शारदीय नवरात्र का त्योहार आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मनाया जाता है। इसके अगले दिन दशहरा मनाया जाता है। इस दौरान जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त नवरात्र का व्रत रखा जाता है। आइए जानते हैं कि किस दिन से आश्विन महीने की शुरुआत हो रही है?
किस दिन से शुरू होगा आश्विन?
वैदिक पंचांग के अनुसार, 07 सितंबर को भाद्रपद पूर्णिमा है। इसके अगले दिन से आश्विन महीने की शुरुआत होगी। आसान शब्दों में कहें तो 08 सितंबर से आश्विन महीना शुरू होगा। आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा तिथि से पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाता है। इसके लिए पितृ पक्ष की शुरुआत भी 08 सितंबर से होगी।
पितृ पक्ष 2025
पितृ पक्ष 08 सितंबर से लेकर 21 सितंबर तक है। इस दौरान रोजाना पितरों का तर्पण और पिंडदान किया जाएगा। वहीं, 21 सितंबर को सर्वपितृ तर्पण किया जाएगा। पितृ पक्ष के दौरान पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से साधक पर पूर्वजों की कृपा बरसती है।
शारदीय नवरात्र कब से है?
इस साल 22 सितंबर से शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो रही है। वहीं, 02 अक्टूबर को विजयादशमी है। आसान शब्दों में कहें तो 22 सितंबर से लेकर 01 अक्टूबर तक शारदीय नवरात्र है। इसके अगले दिन दशहरा मनाया जाएगा। शारदीय नवरात्र के दौरान जगत की देवी मां दुर्गा की पूजा की जाती है।
आश्विन एकादशी
आश्विन माह में इंदिरा और पापाकुंशा एकादशी मनाई जाती है। इस साल 17 सितंबर को इंदिरा एकादशी मनाई जाएगी। वहीं, 02 अक्टूबर को दशहरा और पापाकुंशा एकादशी है। इस शुभ अवसर पर जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाएगी। साथ ही लक्ष्मी नारायण जी के निमित्त व्रत रखा जाएगा।
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