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    Somvati Amavasya 2024: सोमवती अमावस्या पर करें इस स्तोत्र का पाठ, पूरी होगी हर इच्छा

    सोमवती अमावस्या का दिन हिंदू धर्म में बहुत खास माना जाता है। इस दिन पितरों की पूजा होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार 30 दिसंबर 2024 दिन सोमवार को सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2024 Kis Din Hai?) मनाई जाएगी। सोमवार को पड़ने की वजह से इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ गया है। ऐसे में इस तिथि पर धार्मिक कार्यों से जुड़े रहें।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 28 Dec 2024 01:53 PM (IST)
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    Somvati Amavasya 2024: शिव जी को ऐसे करें प्रसन्न।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। अमावस्या तिथि किसी भी प्रकार के मांगलिक कार्यों के लिए अच्छी नहीं मानी जाती है। इस बार यह सोमवार को पड़ रही है, जिसके चलते इसका महत्व बढ़ गया है। हिंदू पंचांग के अनुसार, 30 दिसंबर, 2024 दिन सोमवार को साल की अंतिम सोमवती अमावस्या (Somvati Amavasya 2024 Kis Din Hai?) मनाई जाएगी। मान्यता है कि इस दिन सुबह-सुबह उठकर स्नान करें और शिव पूजन के लिए किसी भी मंदिर जाएं। सबसे पहले भोलेनाथ को जल अर्पित करें। फिर बेल पत्र में राम लिखकर भोलेनाथ को चढ़ाएं।

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    इसके बाद सफेद मिठाई का भोग लगाएं और लिंगाष्टकम स्तोत्र का पाठ करें। इससे सभी इच्छाओं की पूर्ति होगी। साथ ही भोलेनाथ की कृपा प्राप्त होगी, तो चलिए यहां पढ़ते हैं।

    सोमवती अमावस्या कब है? (Somvati Amavasya Date And Time)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह की अमावस्या तिथि 30 दिसंबर को प्रात: 04 बजकर 01 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 31 दिसंबर को देर रात 03 बजकर 56 मिनट पर होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि का महत्व है। पंचांग को देखते हुए 30 दिसंबर को ही (Somvati Amavasya 2024) सोमवती अमावस्या मनाई जाएगी।

    ।लिंगाष्टकम स्तोत्र (Shiv Lingastakam Stotra)।।

    ब्रह्ममुरारिसुरार्चितलिङ्गं निर्मलभासितशोभितलिङ्गम् ।

    जन्मजदुःखविनाशकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥१॥

    देवमुनिप्रवरार्चितलिङ्गं कामदहं करुणाकरलिङ्गम् ।

    रावणदर्पविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥२॥

    सर्वसुगन्धिसुलेपितलिङ्गं बुद्धिविवर्धनकारणलिङ्गम् ।

    सिद्धसुरासुरवन्दितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥३॥

    कनकमहामणिभूषितलिङ्गं फणिपतिवेष्टितशोभितलिङ्गम् ।

    दक्षसुयज्ञविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥४॥

    कुङ्कुमचन्दनलेपितलिङ्गं पङ्कजहारसुशोभितलिङ्गम् ।

    सञ्चितपापविनाशनलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥५॥

    देवगणार्चितसेवितलिङ्गं भावैर्भक्तिभिरेव च लिङ्गम् ।

    दिनकरकोटिप्रभाकरलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥६॥

    अष्टदलोपरिवेष्टितलिङ्गं सर्वसमुद्भवकारणलिङ्गम् ।

    अष्टदरिद्रविनाशितलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥७॥

    सुरगुरुसुरवरपूजितलिङ्गं सुरवनपुष्पसदार्चितलिङ्गम् ।

    परात्परं परमात्मकलिङ्गं तत् प्रणमामि सदाशिवलिङ्गम् ॥८॥

    लिङ्गाष्टकमिदं पुण्यं यः पठेत् शिवसन्निधौ।

    शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते॥

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    ॥ श्रीशिवपञ्चाक्षरस्तोत्रम् ॥

    नागेन्द्रहाराय त्रिलोचनाय,

    भस्माङ्गरागाय महेश्वराय ।

    नित्याय शुद्धाय दिगम्बराय,

    तस्मै न काराय नमः शिवाय ॥॥

    मन्दाकिनी सलिलचन्दन चर्चिताय,

    नन्दीश्वर प्रमथनाथ महेश्वराय ।

    मन्दारपुष्प बहुपुष्प सुपूजिताय,

    तस्मै म काराय नमः शिवाय ॥॥

    शिवाय गौरीवदनाब्जवृन्द,

    सूर्याय दक्षाध्वरनाशकाय ।

    श्रीनीलकण्ठाय वृषध्वजाय,

    तस्मै शि काराय नमः शिवाय ॥॥

    वसिष्ठकुम्भोद्भवगौतमार्य,

    मुनीन्द्रदेवार्चितशेखराय।

    चन्द्रार्क वैश्वानरलोचनाय,

    तस्मै व काराय नमः शिवाय ॥॥

    यक्षस्वरूपाय जटाधराय,

    पिनाकहस्ताय सनातनाय ।

    दिव्याय देवाय दिगम्बराय,

    तस्मै य काराय नमः शिवाय ॥॥

    पञ्चाक्षरमिदं पुण्यं यः पठेच्छिवसन्निधौ ।

    शिवलोकमवाप्नोति शिवेन सह मोदते ॥

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