Paush Pradosh Vrat 2024: पौष महीने में कब-कब मनाया जाएगा प्रदोष व्रत? नोट करें शुभ मुहूर्त और पूजन विधि
सनातन धर्म में प्रदोष व्रत को बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन भगवान शिव की पूजा का विधान है। इस दिन लोग कठिन व्रत का पालन करते हैं और पूजा-पाठ करते हैं। माना जाता है कि इसका पालन (Benefits of Pradosh Vrat) करने से जीवन में खुशहाली आती है पौष माह में कब-कब प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024 Date And Time ) रखा जाएगा आइए जानते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रदोष व्रत को शास्त्रों में बहुत ही शुभ व्रतों में से एक माना गया है, जो अपने आध्यात्मिक और धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। यह शुभ दिन भगवान शिव और देवी पार्वती की पूजा के लिए समर्पित है। कहते हैं कि इस दिन जो साधक व्रत रखते हैं और भोलेनाथ की विधिवत पूजा करते हैं, उन्हें उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है।
ऐसे में पौष माह में प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) कब-कब रखा जाएगा, आइए उसकी सही डेट और पूजा विधि जानते हैं।
पौष महीने का पहला प्रदोष व्रत कब है?
हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल पौष माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 28 दिसंबर को सुबह 2 बजकर 26 मिनट पर होगी। वहीं, इस तिथि का समापन 29 दिसंबर को सुबह 3 बजकर 32 मिनट पर होगा। पंचांग को देखते हुए 28 दिसंबर को पौष माह का पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस बार यह व्रत शनिवार को पड़ रहा है। शनिवार को पड़ने की वजह से शनि प्रदोष के नाम से जाना जाता है।
पौष महीने का दूसरा प्रदोष व्रत कब है?
वैदिक पंचांग के अनुसार, पौष माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 11 जनवरी को सुबह 8 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 12 जनवरी की सुबह 06 बजकर 33 मिनट पर होगा। इस दिन शाम की पूजा का महत्व है, जिस वजह से पौष माह का दूसरा प्रदोष व्रत 11 जनवरी को रखा जाएगा। शनिवार के दिन पड़ने के कारण इसे शनि प्रदोष के नाम से जाना है।
प्रदोष व्रत पूजा विधि (Pradosh Vrat 2024 Puja Vidhi)
सबसे पहले सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। शिव जी के सामने व्रत का संकल्प लें।स्नान-ध्यान के बाद पूजा घर की साफ-सफाई करें। फिर शिव परिवार की प्रतिमा स्थापित करें। इसके बाद शिवलिंग का गंगाजल व पंचामृत से अभिषेक करें। उन्हें सफेद चंदन का तिलक लगाएं। आक के फूल, बेलपत्र, भांग और धतूरा आदि चीजें शिव जी को अर्पित करें। देसी घी का दीपक जलाएं और खीर का भोग लगाएं। रुद्राक्ष की माला से पंचाक्षरी मंत्र का 108 बार जाप करें।
आरती से पूजा को पूर्ण करें। अंत में पूजा के दौरान हुई सभी गलतियों के लिए क्षमा मांगे। इसके साथ ही तामसिक चीजों से परहेज करें।
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