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    Shani Pradosh Vrat 2024: आज है साल का अंतिम प्रदोष व्रत, नोट करें पूजा विधि, मुहूर्त और भोग

    शनि प्रदोष व्रत भगवान शंकर को समर्पित है। यह महीने में दो बार आते हैं। इस बार यह व्रत (Pradosh Vrat 2024) 28 दिसंबर यानी आज रखा जा रहा है। इस तिथि पर कठिन व्रत का पालन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही जीवन की सभी पीड़ाएं समाप्त होती हैं तो चलिए इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातों को जानते हैं।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 28 Dec 2024 09:39 AM (IST)
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    Shani Pradosh Vrat 2024: इस नियम से करें महादेव की आराधना।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में शनि प्रदोष व्रत का बड़ा धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व है। यह दिन भगवान शिव और देवी पार्वती को समर्पित है। भक्त इस शुभ दिन पर उपवास रखते हैं और शिव-पार्वती से प्रार्थना करते हैं। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस माह प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) 28 दिसंबर यानी आज रखा जा रहा है। यह दिन देवों के देव को अति प्रिय है। ऐसे में अगर आप इस दिन उनकी विधिवत आराधना (Lord Shiva’s Favorite Offerings) करते हैं, तो आपके जीवन की सभी मुश्किलों का अंत होता है। इसके साथ ही शिव परिवार की कृपा प्राप्त होती है।

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    शनि प्रदोष व्रत पूजा समय (Shani Pradosh Vrat 2024 Puja Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, अमृत काल सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 12 बजकर 47 मिनट तक रहेगा। इसके बाद विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 06 मिनट से 02 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। फिर गोधूलि मुहूर्त शाम 05 बजकर 30 मिनट से 05 बजकर 58 मिनट तक रहेगा।

    वहीं, निशिता मुहूर्त रात्रि 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 50 मिनट तक रहेगा। प्रदोष के दिन शाम के समय ही पूजा करने का महत्व है। इसलिए गोधूलि मुहूर्त का ध्यान रखें।

    प्रिय भोग (Favorite Bhog) - ठंडई और खीर।

    प्रिय पुष्प (Favorite Flower) - कनेर और आक का फूल।

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    शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि (Puja Vidhi) and Muhurat

    सबसे पहले पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें। फिर भोलेनाथ और माता पार्वती के सामने व्रत का संकल्प लें। एक वेदी पर शिव परिवार की प्रतिमा विराजमान करें। गंगाजल से प्रतिमा को अच्छी तरह साफ करें। देसी घी का दीपक जलाएं और सफेद फूलों की माला अर्पित करें। चंदन से शिव जी के माथे पर त्रिपुंड बनाएं। खीर, हलवा, फल, मिठाइयों, ठंडई, लस्सी आदि चीजों का भोग लगाएं।

    प्रदोष व्रत कथा, पंचाक्षरी मंत्र और शिव चालीसा का पाठ करें। प्रदोष व्रत पर पूजा गोधूलि बेला में ज्यादा शुभ मानी जाती है। इसलिए प्रदोष काल में ही पूजा करें। अगले दिन अपने व्रत का पारण करें। पारण शिव प्रसाद से ही करें।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।