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    Pradosh Vrat 2024: आज प्रदोष व्रत पर करें देवी पार्वती संग भोलेनाथ की आरती, होगा कल्याण

    सनातन धर्म में प्रदोष व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दिन शिव-शक्ति की पूजा का विधान है। मान्यता है कि इस दिन का व्रत रखने से मनचाहा वर प्राप्त होता है। 28 दिसंबर यानी आज प्रदोष व्रत रखा जा रहा है। कहते हैं कि इस दिन (Pradosh Vrat 2024) शिव जी और मां पार्वती की आरती करने से सभी कार्यों में सफलता मिलती है जो इस प्रकार है।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Sat, 28 Dec 2024 08:52 AM (IST)
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    Pradosh Vrat 2024: भगवान शिव और माता पार्वती की आरती।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। शनि प्रदोष का दिन अपने आप में ही महत्वपूर्ण होता है। यह दिन भगवान शंकर और शनि महाराज को समर्पित है। माना जाता है कि जो साधक इस दिन उपवास रखते हैं और शिव पूजन करते हैं, उन्हें भविष्य में किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस माह प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2024) 28 दिसंबर यानी आज रखा जा रहा है। ऐसे में इस दिन पर सुबह उठकर स्नान करें और साफ वस्त्र धारण करें। फिर शिव जी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प लें। इसके बाद उनका गंगाजल से अभिषेक करें।

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    उन्हें फल, फूल, माला, अक्षत, कुमकुम, चंदन आदि चीजें अर्पित करें। वैदिक मंत्रों का जाप करें। आरती से पूजा को पूर्ण करें। ऐसा करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है, तो आइए यहां पढ़ते हैं।

    ।।भगवान शिव की आरती।।

    जय शिव ओंकारा ऊँ जय शिव ओंकारा ।

    ब्रह्मा विष्णु सदा शिव अर्द्धांगी धारा ॥ ऊँ जय शिव...

    एकानन चतुरानन पंचानन राजे ।

    हंसानन गरुड़ासन वृषवाहन साजे ॥ ऊँ जय शिव...॥

    दो भुज चार चतुर्भुज दस भुज अति सोहे।

    त्रिगुण रूपनिरखता त्रिभुवन जन मोहे ॥ ऊँ जय शिव...॥

    अक्षमाला बनमाला रुण्डमाला धारी ।

    चंदन मृगमद सोहै भाले शशिधारी ॥ ऊँ जय शिव...॥

    श्वेताम्बर पीताम्बर बाघम्बर अंगे ।

    सनकादिक गरुणादिक भूतादिक संगे ॥ ऊँ जय शिव...॥

    कर के मध्य कमंडलु चक्र त्रिशूल धर्ता ।

    जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता ॥ ऊँ जय शिव...॥

    ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका ।

    प्रणवाक्षर मध्ये ये तीनों एका ॥ ऊँ जय शिव...॥

    काशी में विश्वनाथ विराजत नन्दी ब्रह्मचारी ।

    नित उठि भोग लगावत महिमा अति भारी ॥ ऊँ जय शिव...॥

    त्रिगुण शिवजीकी आरती जो कोई नर गावे ।

    कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ऊँ जय शिव...॥

    जय शिव ओंकारा हर ऊँ शिव ओंकारा|

    ब्रह्मा विष्णु सदाशिव अद्धांगी धारा॥ ऊँ जय शिव ओंकारा...॥

    ।।मां पार्वती की आरती।।

    जय पार्वती माता जय पार्वती माता

    ब्रह्म सनातन देवी शुभ फल कदा दाता।

    जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

    अरिकुल पद्मा विनासनी जय सेवक त्राता

    जग जीवन जगदम्बा हरिहर गुणगु गाता।

    जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

    सिंह को वाहन साजे कुंडल है साथा

    देव वधुजहं गावत नृत्य कर ताथा।

    जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

    सतयुग शील सुसुन्दर नाम सती कहलाता

    हेमांचल घर जन्मी सखियन रंगराता।

    जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

    शुम्भ निशुम्भ विदारेहेमांचल स्याता

    सहस भुजा तनुधरिके चक्र लियो हाथा।

    जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

    सृष्ट‍ि रूप तुही जननी शिव संग रंगराता

    नंदी भृंगी बीन लाही सारा मदमाता।

    जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

    देवन अरज करत हम चित को लाता

    गावत दे दे ताली मन मेंरंगराता।

    जय पार्वती माता जय पार्वती माता।

    श्री प्रताप आरती मैया की जो कोई गाता

    सदा सुखी रहता सुख संपति पाता।

    जय पार्वती माता मैया जय पार्वती माता।

    यह भी पढ़ें: Shani Pradosh Vrat 2024: प्रदोष व्रत के दिन करें शिव चालीसा का पाठ, जल्द संकट होंगे दूर

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।