Shani Amavasya 2025: शनि अमावस्या पर इस मुहूर्त में पूजा करने से प्रसन्न होंगे पितृ, जानें सही विधि
ज्योतिषियों के अनुसार शनि अमावस्या (Shani Amavasya 2025 Date) के दिन सूर्य ग्रहण (Surya Grahan 29th March 2025) का साया रहेगा लेकिन यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा। इसके अलावा शनि अपनी चाल में बदलाव करेंगे जिसका प्रभाव राशि के जातकों पर पड़ेगा। ऐसे में आइए जानते हैं शनि अमावस्या के शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर महीने में अमावस्या का त्योहार मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु और पितरों की पूजा करने का विधान है। साथ ही विशेष चीजों का दान करना चाहिए। धार्मिक मान्यता के अनुसार, शनि अमावस्या (Shani Amavasya 2025) पर दान और पवित्र नदी में स्नान करने से साधक को सभी पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन खुशहाल होता है। ऐसे में आइए जानते हैं कैसे पितरों की पूजा?
शनि अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त (Shani Amavasya 2025 Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग अनुसार, शनि अमावस्या तिथि की शुरुआत 28 मार्च को रात 07 बजकर 55 मिनट पर शुरू हो गई है। वहीं, तिथि का समापन 29 मार्च को शाम 04 बजकर 27 मिनट पर होगा। इस प्रकार आज यानी 29 मार्च को शनि अमावस्या का पर्व मनाया जा रहा है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि शनिवार के दिन पड़ने के चलते यह शनि अमावस्या कहलाएगी।
(Pic Credit- Freepik)
सूर्योदय और सूर्यास्त का समय
सूर्योदय - सुबह 06 बजकर 15 मिनट पर
सर्यास्त - शाम 06 बजकर 37 मिनट पर
चंद्रोदय - कोई नहीं
चन्द्रास्त - शाम को 06 बजकर 40 मिनट पर
ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 42 मिनट से 05 बजकर 28 मिनट तक
विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 30 मिनट से 03 बजकर 19 मिनट तक
गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 36 मिनट से शाम 06 बजकर 59 मिनट तक
निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 49 मिनट तक
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ऐसे करें पूजा
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर सूर्य देव को अर्घ्य दें
- भगवन विष्णु और पितरों की पूजा करें।
- इसके बाद पिंडदान और पितृ तर्पण करें।
- आरती करें और पितरों की शांति प्राप्ति के लिए कामना करें।
- पितरों को भोग अर्पित करें।
- लोगों में अन्न और धन का दान करें।
इन चीजों का करें दान
इस दिन दान करने का विशेष महत्व है। पूजा-अर्चना करने के बाद काले तिल, धन और अन्न का दान करें। धार्मिक मान्यता है कि इन चीजों का दान करने से सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है और धन लाभ के योग बनते हैं।
पितृ के मंत्र
1. ॐ पितृ देवतायै नम:।
2. ॐ आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम’
3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
4. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
5. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
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