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    Sankashti Chaturthi 2025: 13 या 14 जुलाई, कब है गजानन संकष्टी चतुर्थी? यहां जानें महत्व और मंत्र

    सनातन धर्म में सावन (Sankashti Chaturthi 2025 Date) का महीना भगवान विष्णु के लिए विश्राम का होता है। वहीं सृष्टि का संचालन देवों के देव महादेव करते हैं। इसके लिए सावन महीने में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है। साथ ही सावन सोमवार का व्रत रखा जाता है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 09 Jul 2025 07:10 PM (IST)
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    Sankashti Chaturthi 2025: गजानन संकष्टी चतुर्थी का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। देवों के देव महादेव को प्रिय सावन का महीना 11 जुलाई से प्रारंभ हो रहा है। यह महीना बेहद पावन होता है। इस महीने में कई प्रमुख व्रत-त्योहार मनाए जाते हैं। इसकी शुरुआत गजानन संकष्टी चतुर्थी से होती है। यह पर्व सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान गणेश की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त चतुर्थी का व्रत भी रखा जाता है।

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    धार्मिक मत है कि भगवान गणेश की पूजा करने से साधक को सभी प्रकार की परेशानी से मुक्ति मिलती है। साथ ही घर में सुखों का आगमन होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान गणेश की विशेष पूजा की जाती है। हालांकि, तिथि को लेकर भक्तजन दुविधा में है। आइए, गजानन संकष्टी चतुर्थी की सही डेट और शुभ मुहूर्त जानते हैं-

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    गजानन संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त (Gajanan Sankasthi Chaturthi Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 14 जुलाई को देर रात 01 बजकर 02 मिनट पर सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की शुरुआत होगी और 14 जुलाई को देर रात 11 बजकर 59 मिनट पर चतुर्थी तिथि समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना की जाती है। इस प्रकार 14 जुलाई को गजानन संकष्टी चतुर्थी मनाई जाएगी।

    गजानन संकष्टी चतुर्थी शुभ योग (Gajanan Sankasthi Chaturthi Shubh Muhurat)

    ज्योतिषियों की मानें तो सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर एक साथ कई शुभ और मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान गणेश की पूजा करने से साधक की हर परेशानी दूर होगी। इनमें आयुष्मान योग का संयोग शाम 04 बजकर 14 मिनट तक है। इसके बाद सौभाग्य योग का निर्माण हो रहा है।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 33 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 21 मिनट पर
    • चन्द्रोदय- शाम 09 बजकर 55 मिनट पर
    • चन्द्रास्त- सुबह 08 बजकर 43 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 11 मिनट से 04 बजकर 52 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 45 मिनट से 03 बजकर 40 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 20 मिनट से 07 बजकर 40 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात्रि 12 बजकर 07 मिनट से 12 बजकर 48 मिनट तक

    गणेश मंत्र

    1. ऊँ वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटि समप्रभ ।

    निर्विघ्नं कुरू मे देव, सर्व कार्येषु सर्वदा ॥

    2. ऊँ एकदन्ताय विहे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दन्तिः प्रचोदयात् ॥

    3. 'गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।

    नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक :।।

    धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।

    गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।

    4. ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।

    5. दन्ताभये चक्रवरौ दधानं, कराग्रगं स्वर्णघटं त्रिनेत्रम्।

    धृताब्जयालिङ्गितमाब्धि पुत्र्या-लक्ष्मी गणेशं कनकाभमीडे॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।