Sawan 2025: सावन शिवलिंग पर भूलकर भी न चढ़ाएं ये चीजें, लगेगा दोष
सावन का महीना 11 जुलाई से शुरू हो रहा है। इस दौरान शिव भक्त शिवलिंग पर कई वस्तुएं चढ़ाकर उन्हें प्रसन्न करते हैं लेकिन कुछ चीजें ऐसी हैं जिनको चढ़ाने से दोष लगता है। सौंदर्य का प्रतीक हल्दी भगवान शिव को नहीं चढ़ाई जाती क्योंकि वो वैराग्य का प्रतीक हैं। आइए जानते हैं क्या-क्या शिवलिंग पर नहीं चढ़ाना चाहिए।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सावन का पवित्र महीना 11 जुलाई से शुरू होने वाला है। भोलेनाथ के भक्त अपने आराध्य को प्रसन्न करने के लिए तरह-तरह की सामग्री शिवलिंग पर चढ़ते हैं।
मगर, कुछ ऐसी चीज हैं जिन्हें चढ़ाने से भोलेनाथ की कृपा की जगह दोष लगता है। आइए जानते हैं सावन में भोलेनाथ को किन चीजों को नहीं चढ़ाना चाहिए।
नहीं चढ़ाते हैं हल्दी
हल्दी का संबंध सौंदर्य और सौभाग्य से है। सुंदरता निखारने के लिए अक्सर महिलाएं हल्दी का उपयोग करती हैं। भगवान विष्णु और अन्य देवी-देवताओं को भी हल्दी चढ़ाई जाती है। मगर, भगवान शिव वैराग्य और त्याग के प्रतीक हैं। इसलिए उन्हें हल्दी नहीं चढ़ानी चाहिए।
तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है
इसी तरह से भगवान विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय है। बिना तुलसी के लगाया गया भोग वह स्वीकार नहीं करते हैं। मगर, भगवान शिव को तुलसी नहीं चढ़ाई जाती है। इसका कारण यह है कि भगवान शिव ने जालंधर नाम के असुर का वध किया था।
उसके बाद उसकी पत्नी वृंदा ही तुलसी के रूप में प्रकट हुई थीं। वृंदा ने श्राप दिया था कि उनकी पत्तियों का प्रयोग शिव की पूजा में नहीं होगा। इसलिए शिवजी पर तुलसी के पत्ते नहीं चढ़ाए जाते हैं।
केतकी के फूल ने बोला था झूठ
केतकी के फूलों को भी शिवलिंग पर नहीं चढ़ने को लेकर एक पौराणिक कथा प्रचलित है। इसके अनुसार, ब्रह्मा और विष्णु के बीच एक बार श्रेष्ठता को लेकर विवाद हो गया। तब भोलेनाथ एक ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रकट हुए और उन्होंने कहा जो भी इस ज्योतिर्लिंग का आदि या अंत ढूंढ लेगा वह श्रेष्ठ कहलाएगा।
भगवान विष्णु जब शिवलिंग का ओर-छोर नहीं पता कर पाए, तो वह वापस लौट आए। मगर, ब्रह्मा जी ने केतकी के फूल को यह गवाही देने के लिए राजी किया कि उसने देखा है कि ब्रह्मा जी को शिवलिंग के छोर तक पहुंचे थे। इस झूठ के कारण भोलेनाथ ने श्राप दिया था कि उनकी पूजा में कभी भी केतकी के फूलों का प्रयोग नहीं होगा।
शंख से नहीं करते अभिषेक
इसी प्रकार शंख को भी बड़ा पवित्र माना जाता है। धार्मिक कार्यक्रमों में इसका प्रयोग भी किया जाता है। शंख में जल भरकर घर में छिड़कने से नकारात्मकता दूर होती है। मगर, इसके जल का प्रयोग शिवलिंग का अभिषेक करने में नहीं किया जाता है।
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इसके पीछे भी एक पौराणिक कथा है। कहा जाता है कि शंखचूड़ नाम का एक असुर था, जिसका वध भगवान शिव ने किया था। उसकी हड्डियों से ही शंख का निर्माण हुआ था। इसलिए भगवान शिव की पूजा में शंख का प्रयोग नहीं किया जाता।
नहीं चढ़ाते हैं टूटे हुए बेलपत्र
शिवलिंग पर टूटे हुए, कटे-फटे, कीड़े लगे हुए या सूखे हुए बेलपत्र नहीं चढ़ाए जाते हैं। इसे दोषपूर्ण माना जाता है। इसके साथ ही टूटे हुए चावल शिवलिंग पर नहीं चढ़ाने चाहिए। दरअसल, चावल को अक्षत कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है जिसकी क्षति न हो। जिससे कभी न खत्म होने वाला पुण्य मिले।
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