Sawan 2025: अमरनाथ शिवलिंग कब बनता है और चंद्रमा के साथ क्या है इसका कनेक्शन
अमरनाथ धाम श्रद्धालुओं के लिए एक महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है जहां आषाढ़ पूर्णिमा से रक्षाबंधन तक बर्फ से बने शिवलिंग के दर्शन होते हैं। यह शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बनता है कुछ लोग मानते हैं कि गुफा में पानी की बूंदें गिरकर 12 से 18 फीट ऊंचे शिवलिंग का आकार ले लेती हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। अमरनाथ धाम श्रद्धालुओं के लिए धार्मिक महत्व का स्थान है और यहां की यात्रा उनके लिए पुण्य की यात्रा है। आषाढ़ पूर्णिमा से शुरू होकर रक्षाबंधन तक पूरे सावन महीने में पवित्र हिमलिंग दर्शन यहां होते हैं। यह शिवलिंग प्राकृतिक रूप से बनता है।
कुछ लोग मानते हैं कि गुफा में बूंद पानी गिरता है और वह करीब 12 से 18 फीट तक ऊंचे ठोस बर्फ के शिवलिंग का आकार ले लेता है। मगर, सवाल यह है कि जब गर्मी में बर्फ पिघलने लगती है, तो हिमलिंग का निर्माण कैसे होता है? वह क्यों नहीं पिघलता है?
अन्य गुफाओं में क्यों नहीं बनता हिमलिंग
यदि इस बात को सही मान भी लिया जाए, तो अगला सवाल यह है कि वहां पर और भी गुफाएं हैं, लेकिन वहां शिवलिंग क्यों नहीं बनता है? बताते चलें कि समुद्र तल से 3888 मीटर की ऊंचाई पर स्थित अमरनाथ की गुफा की लंबाई 19 मीटर, चौड़ाई 16 मीटर और ऊंचाई 11 मीटर है।
पहाड़ के छिद्रों से गुफा में गिरती पानी की बूंदों से अमरनाथ का हिमलिंग बनता है। मगर, हैरानी की बात है कि यह शिवलिंग एक नियत समय में ही कैसे बनता है? विज्ञान भी आज तक अमरनाथ के शिवलिंग के रहस्य को पूरी तरह सुलझा नहीं सका है।
चंद्रमा के साथ बढ़ता है शिवलिंग
अकबर के इतिहासकार अबुल फजल ने 16वीं शताब्दी में आइना-ए-अकबरी लिखी थी। इसमें उसने कहा था कि अमरनाथ एक पवित्र तीर्थस्थल है। गुफा में बर्फ का एक बुलबुला 15 दिन तक रोजाना थोड़ा-थोड़ा बढ़ते हुए दो गज से ज्यादा ऊंचा हो जाता है।
यह भी पढ़ें- Samudrik Shastra: जांघ पर तिल वाले लोग होते हैं साहसी, जानिए कैसी होती है पर्सनेलिटी
चंद्रमा के घटने के साथ-साथ वह भी शिवलिंग भी घटना शुरू हो जाता है और अमावस्या को लुप्त हो जाता है। चंद्र की कलाओं के साथ हिमलिंग बढ़ता है और उसी के साथ लुप्त हो जाता है। चंद्रमा का संबंध शिव से माना गया है। सोमनाथ ज्योतिर्लिंग की कहानी भी दक्ष प्रजापति के द्वारा चंद्रमा को दिए गए श्राप से जुड़ी है।
यह भी पढ़ें- Sawan 2025: सोमनाथ ज्योतिर्लिंग हवा में तैरता था, जानिए इस मंदिर के टूटने, लुटने और फिर बनने की कहानी
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।