Difference Between Sadhu And Sant: यहां जानें साधु-संत के बीच कितना ज्यादा है अंतर?
महाकुंभ (Mahakumbh 2025) में शामिल होने वाले साधु-संत अपनी भक्ति और श्रद्धा की वजह से सभी का ध्यान अपनी ओर खींच रहे हैं। इनका जीवन बेहद कठिन होता है जिसपर चलना कोई आसान बात नहीं है। इसलिए बहुत कम लोग इस मार्ग पर चल पाते हैं। वहीं आज हम जानेंगे कि साधु-संत एक दूसरे से कितना अलग हैं? इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रयागराज में होने वाला महाकुंभ इस समय पूरी दुनिया में छाया हुआ है, इसकी विशालता हर किसी का ध्यान अपनी ओर खींच रही है। यह अब तक होने वाले सबसे बड़े आयोजनों (Maha Kumbh Mela 2025) में से एक माना जा रहा है, जिसे देखने के लिए आम श्रद्धालुओं के साथ साधु-संतों का भारी सैलाब त्रिवेणी तट पर पहुंचा हुआ है। आज हम अपने इस आर्टिकल में साधु-संत एक दूसरे से कितने अलग हैं? इसके बारे में जानेंगे।
आमतौर पर लोग साधु-संत को एक ही मानते हैं, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है। क्योंकि इन दोनों
(Difference Between Sadhu And Sant) के जीवन जीने के तरीकों और समाज को देखने के नजरिए में जमीन आसमान का फर्क होता है।
साधु कौन होते हैं? (Sadhu Kon Hai?)
दरअसल, साधु वे होते हैं जो जीवन के भौतिक सुखों से दूर रहकर अपना जीवन यापन करते हैं और अपने मन आत्मा और शरीर को शुद्ध करने के लिए साधना व योग में लीन रहते हैं। हालांकि साधु कभी भी समाज से दूर नहीं होते, लेकिन उनका ध्यान पूरी तरह से अपनी साधना पर ही रहता है।
वहीं, इनका (Sadhu Vs Sant) जीवन सादगी और तपस्या से भरा होता है। इसके साथ ही वे अपने भीतर के विकारों जैसे काम, क्रोध, मोह, और लोभ से मुक्ति पाने की कोशिश करते हैं।
संत का मुख्य उद्देश्य (Main Objective Of Saint)
हालांकि संत अपने जीवन में आत्मज्ञान प्राप्त करते हैं और फिर समाज को सही मार्ग दिखाने के लिए काम करते हैं। संत का मुख्य उद्देश्य सत्य का पालन करना होता है।
संत अपने विचारों और कार्यों के जरिए लोगों को अच्छे मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके साथ ही संत का जीवन ज्ञान से भरा होता है, वे अपनी बातें समाज में जागरूकता फैलाने के लिए ही कहते हैं।
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