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    Mahakumbh 2025: पुरुषों से भी मुश्किल है महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया, यहां जानें इनका अनकहा रहस्य

    Updated: Mon, 10 Feb 2025 11:59 AM (IST)

    महाकुंभ (Mahakumbh 2025) में शामिल होने वाली साधु-संतों की टोली हर बार की तरह इस बार भी सभी का ध्यान अपनी ओर खींच रही है। देश से नहीं बल्कि विदेशों से भी संतो के आने का सिलसिला जारी है। वहीं आज हम महिला नागा साधु बनने की प्रक्रिया और इनका जीवन कैसा होता है? इसके बारे में विस्तार से जानेंगे।

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    Mahakumbh 2025: महिला नागा साधु से जुड़े रोचक तथ्य।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाकुंभ धीरे-धीरे अब अपने समापन की ओर बढ़ रहा है, लेकिन लोगों के बीच इसके प्रति आस्था वैसे ही बरकरार है, जो हर रोज देखने को भी मिल रहा है। इस दौरान लोग त्रिवेणी तट पर डुबकी लगाने के साथ विभिन्न पूजा अनुष्ठान में हिस्सा ले रहे हैं। वहीं, इस पावन धरती (Mahakumbh 2025) पर देश से नहीं बल्कि विदेशों से आए लोगों ने अपना वैरागी जीवन शुरू किया, जिसमें महिलाओं की संख्या भी काफी है।

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    यह सब देखने के बाद कुछ लोग यह भी जानना चाहते हैं कि महिलाएं नागा साधु कैसे बनती हैं? तो आइए यहां जानते हैं।

    महिलाएं नागा साधु के जीवन से जुड़ा अनकहा रहस्य (Mahila naga sadhu kaise banti hai)

    (Img Caption - AI)

    पुरुष नागा साधु की तरह महिला नागा साधु को बिना वस्त्र रहने की इजाजत नहीं होती है। उन्हें अपने माथे पर तिलक और गेरुए रंग का बिना सिला हुआ वस्त्र पहनना होता है, जिसे गंती कहा जाता है। इसके साथ ही वे भगवान शिव के साथ दत्तात्रेय भगवान की उपासक होती हैं।

    ये भौतिक दुनिया और मोह माया से कोई नाता नहीं रखती हैं। वहीं, पूरी तरह से नागा साधु बनने में इन्हें करीब 10 साल का समय लग जाता है, हालांकि कई बार ये अपनी-अपनी धार्मिक प्रक्रियाओं पर भी निर्भर करता है।

    महिलाएं नागा साधु कैसे बनती हैं? (Mahila Naga Sadhu Banne Ke Niyam)

    (Img Caption - AI)

    महिलाओं के भी नागा साधु बनने की प्रक्रिया बहुत मुश्किल होती है। इन्हें भी नागा साधु बनने कि लिए कठिन परीक्षा से गुजरना पड़ता है। कम से कम इन्हें 10 से 15 साल तक ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है। इसके बाद अपने गुरु को ये विश्वास दिलाना पड़ता है कि वे नागा साधु बनने योग्य हैं और वे ईश्वर की भक्ति में सदैव के लिए लीन रहने को तैयार हैं।

    इसके साथ ही उन्हें खुद का पिंडदान करना होता है और मुंडन भी कराना पड़ता है। ऐसे कई नियमों का पालन करके उन्हें नागा साधु बनने की स्वीकृति मिलती हैं और फिर उनके वैराग्य की यात्रा शुरू हो जाती है।

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    अस्वीकरण: ''इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है''।