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    Mahakumbh 2025: किन्नर अखाड़े में इस खास समय दिलाई जाती है दीक्षा, जानकर होगी हैरानी

    Updated: Mon, 03 Feb 2025 11:52 AM (IST)

    महाकुंभ का समय बहुत पावन और महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान लोग त्रिवेणी तट पर डुबकी लगाने पहुंचते हैं। इसके साथ ही कई सारे शुभ कार्य करते हैं जिससे मोक्ष प्राप्त किया जा सके। वहीं इस दौरान (Mahakumbh 2025) होने वाली किन्नर अखाड़े की अघोर काली साधना भी काफी ज्यादा चर्चा का विषय बनी रहती है तो चलिए इसके बारे में जानते हैं।

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    Mahakumbh 2025: किन्नर अखाड़े में इसलिए आधी रात में होती है पूजा।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाकुंभ में शामिल होने वाली साधु-संतों की टोली हर बार की तरह इस बार भी चर्चा का विषय बनी हुई है। देश से नहीं बल्कि विदेशों से भी संतो के आने का सिलसिला जारी है। वहीं, इस भव्य मेले (Mahakumbh 2025) में किन्नर अखाड़े की पूजा आकर्षण का केंद्र बनी हुई है, क्योंकि इनकी जीवनशैली के बारे में हर कोई जानना चाहता है, तो चलिए उनसे जुड़ी कुछ रोचक तथ्यों को जानते हैं, जो यहां पर दिए गए हैं।

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    किन्नर अखाड़े में इस खास समय दिलाई जाती है दीक्षा

    ऐसा बताया जाता है कि जब किन्नर अखाड़े में किसी को दीक्षा दिलाई जाती है, तो उससे जुड़े पूजा-अनुष्ठान आधी रात को ही किए जाते हैं, क्योंकि इसके पीछे एक खास वजह है। दरअसल, तंत्र विधान के मुताबिक, महाकुंभ हो या कुंभ, हमेशा आधी रात को ही अघोरी काली पूजा (Aghor Kali Sadhana) होती है। इसमें डमरू की गूंज के साथ मंत्रोच्चारण किया जाता है। यह पूजा किन्नर अखाड़े की तांत्रिक परंपराओं का एक अहम हिस्सा है।

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    अनूठी आस्था

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, एक बड़े हवन कुंड के चारों ओर मानव खोपड़ियां, दीपों को रोशनी, तेज आवाज में गूंजते डमरू और मंत्रोच्चारण इस दृश्य को और भी रहस्यमय और आध्यात्मिक बनाती हैं। यह साधना तंत्र विद्या, आध्यात्मिक शक्ति और आस्था का अद्वितीय संगम है।

    इसलिए आधी रात में होती है पूजा

    इसके अलावा ये भी माना जाता है कि महाकुंभ के दौरान सभी देवी-देवता धरती लोक पर आते हैं। ऐसे में इस दौरान इसका महत्व और भी ज्यादा बढ़ जाता है। साथ ही रात्रि का समय तंत्र साधना के लिए भी सबसे उत्तम और फलदायी माना जाता है। यही कारण है कि किन्नर अखाड़े (Kinnar Akhara) में आधी रात को ही पूजा होती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।