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    Rohini Vrat 2025: कब और क्यों मनाया जाता है रोहिणी व्रत? यहां जानें धार्मिक महत्व

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Mon, 28 Apr 2025 02:28 PM (IST)

    शास्त्रों में निहित है कि जैन धर्म के 12वें तीर्थंकर भगवान वासुपूज्य स्वामी हैं। भगवान वासुपूज्य स्वामी का जन्म बिहार राज्य के भागलपुर में हुआ था। महाभारत काल में भागलपुर और उसके आसपास के क्षेत्रों को अंग कहा जाता था। रोहिणी व्रत (Rohini Vrat 2025 Date) के शुभ अवसर पर परमपूज्य भगवान वासु स्वामी की पूजा की जाती है।

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    Rohini Vrat 2025: भगवान वासुपूज्य को कैसे करें प्रसन्न?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। रोहिणी व्रत हर महीने मनाया जाता है। यह पर्व भगवान वासुपूज्य स्वामी को समर्पित होता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए व्रत रख भगवान वासुपूज्य स्वामी की पूजा करती हैं। धार्मिक मत है कि रोहिणी व्रत पर भगवान वासुपूज्य स्वामी की पूजा करने से व्रती के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही मनचाहा वरदान भी पूरा होता है। इसके अलावा, घर में सुख, समृद्धि एवं शांति बनी रहती है। लेकिन क्या आपको पता है कि ज्येष्ठ महीने में रोहिणी व्रत कब मनाया जाएगा? आइए, रोहिणी व्रत की सही डेट और योग जानते हैं-

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    रोहिणी व्रत शुभ मुहूर्त (Rohini Vrat Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, 27 मई को ज्येष्ठ अमावस्या है। इस दिन रोहिणी व्रत मनाया जाएगा। इस शुभ तिथि पर रोहिणी नक्षत्र का संयोग सुबह  05 बजकर 32 मिनट से है। वहीं, 28 मई को देर रात 02 बजकर 50 मिनट से मृगशिरा नक्षत्र का संयोग बनेगा। व्रती (साधक) 27 मई को सुविधा अनुसार समय पर परम पूज्य भगवान वासु स्वामी की पूजा कर सकती हैं।

    रोहिणी व्रत शुभ योग (Rohini Vrat Shubh Yoga)

    पौष माह के रोहिणी व्रत पर सुकर्मा योग का संयोग बन रहा है। शुक्ल योग का समापन देर रात 10 बजकर 54 मिनट तक है। सुकर्मा योग में भगवान वासु स्वामी की पूजा करने से व्रती की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। इसके साथ ही रोहिणी व्रत पर शिववास योग का भी संयोग है। इस तिथि पर देवों के देव महादेव सुबह 08 बजकर 31 मिनट तक कैलाश पर जगत की देवी मां पार्वती के साथ विराजमान रहेंगे।

    पूजा विधि

    साधक ज्येष्ठ अमावस्या के दिन ब्रह्म बेला में उठें। इस समय भगवान वासुपूज्य को प्रणाम कर दिन की शुरुआत करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। अब नित्य कर्मों से निवृत होकर स्नान करें। सुविधा होने पर गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद आचमन कर लाल रंग के नए कपड़े पहनें। इस समय और सूर्य देव को जल अर्पित करें। इसके बाद पंचोपचार कर भक्ति भाव से भगवान वासुपूज्य स्वामी की पूजा करें। अंत में आरती कर सुख और समृद्धि की कामना करें।

    वासुपूज्य भगवान की आरती

    ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी।

    पंचकल्याणक अधिपति स्वामी, तुम अन्तर्यामी ।।

    चंपापुर नगरी भी स्वामी, धन्य हुई तुमसे।

    जयरामा वसुपूज्य तुम्हारे स्वामी, मात पिता हरषे ।।

    बालब्रह्मचारी बन स्वामी, महाव्रत को धारा।

    प्रथम बालयति जग ने स्वामी, तुमको स्वीकारा ।।

    गर्भ जन्म तप एवं स्वामी, केवलज्ञान लिया।

    चम्पापुर में तुमने स्वामी, पद निर्वाण लिया ।।

    वासवगण से पूजित स्वामी, वासुपूज्य जिनवर।

    बारहवें तीर्थंकर स्वामी, है तुम नाम अमर ।।

    जो कोई तुमको सुमिरे प्रभु जी, सुख सम्पति पावे।

    पूजन वंदन करके स्वामी, वंदित हो जावे ।।

    ॐ जय वासुपूज्य स्वामी, प्रभु जय वासुपूज्य स्वामी।

    पंचकल्याणक अधिपति स्वामी, तुम अन्तर्यामी ।।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।