Rohini Vrat 2024: जैन समुदाय में विशेष महत्व रखता है रोहिणी व्रत, जानिए इसके नियम
जैन समुदाय में रोहिणी व्रत का विशेष महत्व माना गया है। इस व्रत को मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा अपने पति की दीर्घायु के लिए किया जाता है। साथ ही यह भी माना जाता है कि जो भी व्यक्ति इस व्रत को पूरी श्रद्धा से करता है उसके जीवन से सभी प्रकार से दुख दूर हो जाते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं रोहिणी व्रत से जुड़े कुछ जरूरी नियम।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। Rohini Vrat Niyam: जैन धर्म में रोहिणी व्रत का विशेष महत्व माना गया है। असल में इस व्रत का संबंध नक्षत्रों से होता है। जिस दिन सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र पड़ता है, उस दिन रोहिणी व्रत किया जाता है, इसलिए इसे रोहिणी व्रत कहा जाता है। इस प्रकार साल में 12 रोहिणी व्रत मनाए जाते हैं। ऐसे में मार्च में रोहिणी व्रत 16 मार्च 2024 को किया जाएगा।
रोहिणी व्रत महत्व (Rohini Vrat importance)
रोहिणी व्रत का जैन धर्म में ही नहीं बल्कि हिंदू धर्म में भी विशेष महत्व माना गया है। हिंदू धर्म में इस व्रत का संबंध माता लक्ष्मी से माना जाता है, तो वहीं, जैन धर्म में दिन भगवान वासु स्वामी की पूजा का विधान है। रोहिणी व्रत जैन समुदाय के प्रमुख व्रतों में से एक माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार इस व्रत को करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।
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इन बातों का रखें ध्यान
- रोहिणी व्रत के दिन स्वच्छता और शुद्धता का पूरा ख्याल रखना चाहिए।
- रोहिणी व्रत का पालन रोहिणी नक्षत्र के दिन से शुरू होकर अगले नक्षत्र मार्गशीर्ष तक किया जाता है।
- इस व्रत पर भगवान वासु स्वामी की पंच रत्न, ताम्र या स्वर्ण प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करनी चाहिए।
- सूर्यास्त के बाद किसी प्रकार का भोजन करना रोहिणी व्रत में वर्जित माना जाता है।
- रोहिणी व्रत का पालन लगातार 3, 5 या 7 वर्षों में तक करना चाहिए।
- व्रत के दिन गरीबों में खाना, कपड़ा आदि का दान करना चाहिए। ऐसा करने से भौतिक सुखों की वृद्धि हो सकती है।
- रोहिणी व्रत का समापन उद्यापन के द्वारा ही किया जाना चाहिए, क्योंकि बिना उद्यापन के बिना यह व्रत अधूरा माना जाता है।
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