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    Rohini Vrat 2025: दुख-दर्द से मुक्ति दिलाता है रोहिणी व्रत, जरूर जान लें इसके नियम

    Updated: Thu, 06 Feb 2025 02:15 PM (IST)

    जब सूर्योदय के बाद रोहिणी नक्षत्र प्रबल होता है तब रोहिणी व्रत किया जाता है। इस दिन पर मुख्य रूप से भगवान वासुपूज्य की पूजा-अर्चना का विधान है। ऐसे में फरवरी के महीनें में यह व्रत शुक्रवार 07 फरवरी 2025 को किया जा रहा है। ऐसे में चलिए जानते हैं रोहिणी व्रत से जुड़े कुछ जरूरी नियम और इससे होने वाले लाभ।

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    Rohini Vrat 2025 रोहिणी व्रत पर इस तरह करें पूजा (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, हर माह में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर रोहिणी व्रत (Rohini Vrat 2025 Niyam) किया जाता है। यह जैन धर्म के प्रमुख व्रत-त्योहारों में से एक है। माना जाता है कि इस व्रत को करने से साधक की सभी समस्याएं दूर होती हैं। यह व्रत मुख्य रूप से महिलाओं द्वारा रखा जाता है, जिसमें वह अपने पति की लंबी उम्र और सुख-शांति के लिए कामना करती हैं।

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    रोहिणी व्रत की पूजा विधि (Rohini Vrat Puja Vidhi)

    • ब्रह्म मुहूर्त में उठकर पानी में गंगाजल मिलाकर स्नान करें।
    • आचमन कर व्रत का संकल्प लें और सूर्य भगवान को जल अर्पित करें।
    • पूजा स्थल की साफ-सफाई के बाद वेदी पर भगवान वासुपूज्य की मूर्ति स्थापित करें।
    • पूजा में भगवान वासुपूज्य को फल-फूल, गंध, दूर्वा, नैवेद्य आदि अर्पित करें।
    • सूर्यास्त होने से पहले पूजा कर फलाहार करें।
    • अगले दिन पूजा-पाठ करने के बाद अपने व्रत का पारण करें।
    • व्रत के दिन गरीबों में दान जरूर करें।

    (Picture Credit: Freepik)

    ध्यान रखें ये नियम (Rohini Vrat 2025 Niyam)

    जैन धर्म में रोहिणी व्रत एक पवित्र अनुष्ठान है, ऐसे में इस दिन स्वच्छता और शुद्धता का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए। महिलाओं के साथ-साथ पुरुष भी रोहिणी व्रत कर सकते हैं। सूर्यास्त के बाद इस व्रत में भोजन नहीं किया जाता। इस व्रत को लगातार तीन, पांच या सात साल तक रखना जरूरी माना जाता है। पारण अनुष्ठान करने के बाद ही इस व्रत को पूर्ण माना जाता है।

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    (Picture Credit: Freepik)

    मिलते हैं ये लाभ

    जैन धर्म की मान्यताओं के अनुसार, जहां सुहागिन महिलाओं को रोहिणी व्रत करने से अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है, वहीं इस व्रत से साधक के सभी दुख-दर्द भी दूर हो जाते हैं। जैन धर्म में यह भी माना गया है कि इस व्रत को करने से साधक को मोक्ष की प्राप्ति हो सकती है। इसी के साथ आत्मा की शुद्धि के लिए भी यह व्रत काफी महत्वपूर्ण माना जाता है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।