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    Ashtalakshmi Stotra: मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए करें इस स्तोत्र का पाठ, अन्न-धन से भर जाएंगे भंडार

    वैदिक पंचांग के अनुसार वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की पंचमी तिथि पर परिघ योग समेत कई मंगलकारी बन रहे हैं। इन योग में धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में लक्ष्मी नारायण जी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Thu, 17 Apr 2025 10:30 PM (IST)
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    Ashtalakshmi Stotra: मां लक्ष्मी को कैसे प्रसन्न करें?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में मां लक्ष्मी को सुख और समृद्धि की देवी कहा जाता है। देवी मां लक्ष्मी को शुक्रवार का दिन बेहद प्रिय है। इस दिन मां लक्ष्मी की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मां लक्ष्मी के निमित्त वैभव लक्ष्मी व्रत रखा जाता है। शुक्रवार के दिन सुखों के कारक शुक्र देव और धन के देवता कुबेर देव की भी पूजा की जाती है।

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    सनातन शास्त्रों में निहित है कि धन की देवी मां लक्ष्मी स्वभाव से बेहद चंचल है। एक स्थान पर देर तक नहीं ठहरती हैं। इसके लिए व्यक्ति को जीवन में सुख और दुख से गुजरना पड़ता है। ज्योतिष भी आय और सौभाग्य में वृद्धि के लिए देवी मां लक्ष्मी की पूजा करने की सलाह देते हैं। शुक्रवार के दिन मां लक्ष्मी की पूजा करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। अगर आप भी मां लक्ष्मी की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो शुक्रवार के दिन भक्ति भाव से मां लक्ष्मी की पूजा करें। साथ ही पूजा के समय अष्टलक्ष्मी स्तोत्र का पाठ करें।

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    अष्टलक्ष्मी स्तोत्र

    1. सुमनस वन्दित सुन्दरि माधवि,

    चन्द्र सहोदरि हेममये,

    मुनिगण वन्दित मोक्षप्रदायिनि,

    मंजुल भाषिणी वेदनुते ।

    पंकजवासिनी देव सुपूजित,

    सद्गुण वर्षिणी शान्तियुते,

    जय जय हे मधुसूदन कामिनी,

    आद्य लक्ष्मी परिपालय माम् ॥

    2. अयिकलि कल्मष नाशिनि कामिनी,

    वैदिक रूपिणि वेदमये,

    क्षीर समुद्भव मंगल रूपणि,

    मन्त्र निवासिनी मन्त्रयुते ।

    मंगलदायिनि अम्बुजवासिनि,

    देवगणाश्रित पादयुते,

    जय जय हे मधुसूदन कामिनी,

    धान्यलक्ष्मी परिपालय माम्॥

    3. जयवरवर्षिणी वैष्णवी भार्गवि,

    मन्त्रस्वरूपिणि मन्त्रमये,

    सुरगण पूजित शीघ्र फलप्रद,

    ज्ञान विकासिनी शास्त्रनुते ।

    भवभयहारिणी पापविमोचिनी,

    साधु जनाश्रित पादयुते,

    जय जय हे मधुसूदन कामिनी,

    धैर्यलक्ष्मी परिपालय माम् ॥

    4. जय जय दुर्गति नाशिनि कामिनि,

    सर्वफलप्रद शास्त्रमये,

    रथगज तुरगपदाति समावृत,

    परिजन मण्डित लोकनुते ।

    हरिहर ब्रह्म सुपूजित सेवित,

    ताप निवारिणी पादयुते,

    जय जय हे मधुसूदन कामिनी,

    गजरूपेणलक्ष्मी परिपालय माम् ॥

    5. अयि खगवाहिनि मोहिनी चक्रिणि,

    राग विवर्धिनि ज्ञानमये,

    गुणगणवारिधि लोकहितैषिणि,

    सप्तस्वर भूषित गाननुते ।

    सकल सुरासुर देवमुनीश्वर,

    मानव वन्दित पादयुते,

    जय जय हे मधुसूदन कामिनी,

    सन्तानलक्ष्मी परिपालय माम् ॥

    6. जय कमलासिनि सद्गति दायिनि,

    ज्ञान विकासिनी ज्ञानमये,

    अनुदिनमर्चित कुन्कुम धूसर,

    भूषित वसित वाद्यनुते ।

    कनकधरास्तुति वैभव वन्दित,

    शंकरदेशिक मान्यपदे,

    जय जय हे मधुसूदन कामिनी,

    विजयलक्ष्मी परिपालय माम् ॥

    7. प्रणत सुरेश्वर भारति भार्गवि,

    शोकविनाशिनि रत्नमये,

    मणिमय भूषित कर्णविभूषण,

    शान्ति समावृत हास्यमुखे ।

    नवनिधि दायिनि कलिमलहारिणि,

    कामित फलप्रद हस्तयुते,

    जय जय हे मधुसूदन कामिनी,

    विद्यालक्ष्मी सदा पालय माम् ॥

    8. धिमिधिमि धिन्दिमि धिन्दिमि,

    दिन्धिमि दुन्धुभि नाद सुपूर्णमये,

    घुमघुम घुंघुम घुंघुंम घुंघुंम,

    शंख निनाद सुवाद्यनुते ।

    वेद पुराणेतिहास सुपूजित,

    वैदिक मार्ग प्रदर्शयुते,

    जय जय हे मधुसूदन कामिनी,

    धनलक्ष्मी रूपेणा पालय माम् ॥

    फलशृति

    अष्टलक्ष्मी नमस्तुभ्यं वरदे कामरूपिणि ।

    विष्णु वक्ष:स्थलारूढ़े भक्त मोक्ष प्रदायिनी॥

    शंख चक्रगदाहस्ते विश्वरूपिणिते जय: ।

    जगन्मात्रे च मोहिन्यै मंगलम् शुभ मंगलम्॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।