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    बहुत पुण्यदायी है विष्णु सहस्रनाम का पाठ, सभी दुखों को कर देता है दूर... जानिए इसे करने के नियम

    Updated: Thu, 29 May 2025 08:35 PM (IST)

    भगवान विष्णु सृष्टि के पालक हैं और उनकी उपासना के कई तरीके हैं जिनमें विष्णु सहस्रनाम का पाठ सबसे फलदायी है। इस पाठ में भगवान विष्णु के एक हजार नामों का उल्लेख है जिसे सुनने मात्र से ही मनुष्य के सभी कष्टों का नाश होता है। इस पाठ को करते समय कुछ नियमों का पालन करना चाहिए जैसे कि सूर्योदय के समय पाठ करना।

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    विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना सबसे ज्यादा फलदायी माना जाता है।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। त्रिदेवों में एक भगवान विष्णु सृष्टि के पालक हैं। उनकी कृपा दृष्टि हो जाए, तो हमारा पालन भी वही कर सकते हैं। जब आप सभी तरह की चिंताएं छोड़कर उनका चिंतन शुरू कर देते हैं, तो आपकी चिंताओं को दूर करना उनकी जिम्मेदारी बन जाती है। 

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    गीता के 9वें अध्याय के 22वां श्लोक में श्रीकृष्ण ने कहा है- अनन्याश्चिन्तयन्तो मां ये जनाः पर्युपासते तेषां नित्याभियुक्तानां योगक्षेमं वहाम्यहम्। इसका अर्थ है- जो लोग अनन्य भाव से मेरा चिंतन करते हैं। जो लोग मेरी उपासना करते हैं। मैं उनकी सभी आवश्यकताओं को पूरा करता हूं और उनकी रक्षा करता हूं।

    वैसे से विष्णु की उपासना के कई तरीके हैं। मगर, इन सब में विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना सबसे ज्यादा फलदायी माना जाता है। दरअसल, इस पाठ में भगवान विष्णु के एक हजार नामों का उल्लेख है, जिसे महाभारत काल में वेद व्यास ने लिखा था। 

    सभी कष्टों से मिल जाती है मुक्ति 

    यह पाठ इतना शक्तिशाली है कि इसे सुनने मात्र से ही मनुष्य के सभी कष्टों का नाश होने लगता है। सभी तरह के दुखों से मुक्ति मिलने लगती है। रुके हुए काम बनने लगते हैं। किसी भी ग्रह दोष के कारण होने वाली पीड़ा खत्म हो जाती है। 

    व्यक्ति भू लोक के सुखों को भोगकर अंत में मोक्ष को प्राप्त करता है। इस पाठ को करने के समय कुछ नियमों का ध्यान रखें, तो इसका फल जल्द ही मिलने लगता है। आइए जानते हैं किन बातों का रखना है ध्यान। 

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    इन नियमों का करें पालन 

    • विष्णु सहस्रनाम का पाठ नियमित रूप से किसी भी समय किया जा सकता है। मगर, सूर्योदय का समय इसे पढ़ने के लिए सर्वोत्तम होता है। 
    • पाठ करते समय कलश में जल भरकर रखना चाहिए। इसके ऊपर नारियल और आम के पत्ते रखें और पाठ शुरू करें। बिना जल कलश के पाठ पूर्ण नहीं होता है।
    • भगवान विष्णु को पीला रंग प्रिय है। इसलिए पाठ करने के दौरान साफ-स्वच्छ पीले कपड़े पहनें। पाठ का उच्चारण सही करें। यदि आप संस्कृत नहीं पढ़ सकते हैं, तो पाठ को मन लगाकर सुनें। 
    • पाठ पूरा होने के बाद पीली मिठाई, फल आदि का भोग लगाना चाहिए। अंत में भगवान विष्णु की आरती करके खुद भी भोग लें और अन्य लोगों को भी बांटे। 

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।