व्रत करने के दौरान किन बातों का रखना चाहिए ध्यान, जानिए क्या न करें
जून के महीने में कई व्रत और त्योहार आने वाले हैं इसलिए व्रत रखने के कुछ नियमों के बारे में जानना जरूरी है। व्रत रखने से पहले मनोरथ का संकल्प लें जिसके लिए ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु मंत्र का प्रयोग करें। संकल्प लेते समय हाथ में जल अक्षत फूल सुपारी और दक्षिणा रखें।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। जून के महीने में निर्जला एकादशी, रवि प्रदोष व्रत से लेकर गुप्त नवरात्रि तक कई व्रत और त्योहार आने वाले हैं। इस समय में कई लोग व्रत रखेंगे। मगर, व्रत रखने के कुछ बुनियादी नियम होते हैं, जिनके बारे में कई लोगों को जानकारी नहीं होती है।
आज हम आपको ऐसे ही कुछ नियमों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके पालन करने से आपका व्रत न सिर्फ पूर्ण होगा, बल्कि मनोरथ भी सफल होंगे। सबसे पहले आप जिस भी मनोरथ से व्रत करने जा रहे हैं, उसका संकल्प जरूर लें।
संकल्प लेने का मंत्र
ॐ विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ॐ अद्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय परार्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बूद्वीपे भरतखण्डे भारतवर्षे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2082, तमेऽब्दे सिद्धार्थी नाम संवत्सरे उत्तरायने ……। ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे ……। मासे …… पक्षे ……।। तिथौ ……। वासरे (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया- श्रुतिस्मृत्योक्तफलप्राप्त्यर्थं मनेप्सित कार्य सिद्धयर्थं श्री ………।। (जिस देवी।देवता की पूजा कर रहे हैं उनका नाम ले)पूजनं च अहं करिष्ये। तत्पूर्वागंत्वेन निर्विघ्नतापूर्वक कार्य सिद्धयर्थं यथामिलितोपचारे गणपति पूजनं करिष्ये।
इस मंत्र में खाली जगहों पर ऋतु का नाम, मास का नाम, पक्ष का नाम, तिथि, दिन, अपना नाम और अपने गोत्र का नाम बोलें। इसके बाद जिस देवी या देवता के लिए वह व्रत कर रहे हैं, उनका नाम बोलें। तभी व्रत का संकल्प पूरा होगा।
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संकल्प लेते समय क्या करें
जिस समय आप व्रत का संकल्प ले रहे हैं, उस समय हाथ में थोड़ा सा जल, अक्षत, फूल, सुपारी, दक्षिणा जरूर लें। संकल्प का मंत्र पूरा होने के बाद इसे उस देवी या देवता की तस्वीर या मूर्ति के आगे छोड़ दें, जिसके लिए आप व्रत कर रहे हैं।
व्रत के दौरान क्या न करें
व्रत आरम्भ करने के बाद मन में काम, क्रोध, लोभ, मोह या आलस नहीं लाएं। यदि लंबे समय के लिए कोई व्रत करने का संकल्प लिया है, तो उसकी अवधि पूरी हो जाने पर उसका उद्यापन जरूर करें। ऐसा नहीं करने पर व्रत का फल नहीं मिलता और वह निष्फल हो जाता है।
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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