खाली हाथ नहीं बंधवाना चाहिए कलावा, जानिए कलाई पर कितने बार लपेटना चाहिए
चातुर्मास में पूजा-पाठ का महत्व है जिसमें रक्षासूत्र (कलावा) बांधा जाता है। देवासुर संग्राम में इंद्राणी ने इंद्र की विजय के लिए रक्षासूत्र (Raksha Sutra) बांधा था। यह बुरी नजर और नकारात्मकता से रक्षा करता है। कलावा बांधने के कुछ नियम हैं जैसे खाली हाथ न बंधवाना दक्षिणा रखना और सिर पर रुमाल रखना।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चातुर्मास के शुरू होने के बाद का समय पूजा-पाठ का होता है। जगह-जगह पर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम और अनुष्ठान होते हैं। सावन के महीने में भी रुद्राभिषेक सहित कई तरह की पूजा-पाठ की जाती है। इस दौरान कलावा जरूर बांधा जाता है।
यह मजह धागा नहीं है। इसे रक्षासूत्र कहा जाता है, जिसे बांधने के दौरान पंडित जी मंत्रोच्चारण भी करते हैं। कहते हैं कि जिस व्यक्ति के हाथ में रक्षासूत्र बंधा होता है, उसका अनिष्ट नहीं होता है। इसकी परंपरा तब शुरू हुई थी, जब देवासुर संग्राम में इंद्र संघर्ष कर रहे थे।
तब उनकी पत्नी इंद्राणी ने असुरों पर विजय पाने की कामना से उनके हाथ में रक्षा सूत्र बांधा था और इसके प्रभाव से वह विजयी हुए थे। यह कलावा बुरी नजर और नकारात्मकता से हमारी रक्षा करता है। साथ ही देवी देवताओं की कृपा भी हम पर लगातार बनी रहती हैं।
कलावा बांधने के होते हैं नियम
मगर, कलावा बांधने के कुछ नियम भी होते हैं। कभी भी खाली हाथ कलावा नहीं बंधवाना चाहिए। जिस वक्त पंडित जी कलावा बांधते हैं, उस समय हाथ में यदि कुछ नहीं ले सकते हैं, तो कम से कम अक्षत जरूर रखने चाहिए।
संभव हो, तो कुछ दक्षिणा जरूर हाथ में लेनी चाहिए। कलावा बंधने के बाद यह दक्षिणा पंडित जी को दे देनी चाहिए। इसके साथ ही कलावा बंधवाते समय सिर पर रुमाल होनी चाहिए या आप अपना दूसरा हाथ सिर पर रख सकते हैं।
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कितने बार लपेटना चाहिए
एक सवाल यह भी अक्सर उठता है कि आखिर कलावा को कितनी बार हाथ में लपेटना चाहिए? याद रखिए कि कलावा को हमेशा विषम संख्या जैसे 3, 5 या फिर 7 बार कलाई में लपेटना चाहिए। घर में सौभाग्य आता है और सुख-समृद्धि में हमेशा बढ़ोतरी ही होती है। कलवा को कभी भी सम संख्या जैसे 2, 4 या 6 बार नहीं लपेटना चाहिए।
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