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    Raksha Bandhan 2025: बांधने के कितने दिन बाद तक पहननी चाहिए राखी? यहां जानें क्या है इसे उतारने का सही तरीका

    Updated: Sat, 09 Aug 2025 05:00 PM (IST)

    भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक पर्व राखी (Raksha Bandhan Ke Niyam) हर साल सावन पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। यह पर्व देश भर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन बहनें अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती हैं। सावन पूर्णिमा पर सौभाग्य योग समेत कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं।

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    Raksha Bandhan Ke Niyam: राखी बांधने का सही तरीका

    दिव्या गौतम, एस्ट्रोपत्री। रक्षाबंधन का पर्व सिर्फ एक रेशमी धागा बांधने की रस्म नहीं, बल्कि भाई-बहन के प्रेम, विश्वास और आशीर्वाद का पवित्र बंधन होता है। जब बहन अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, तो वह सिर्फ उसकी रक्षा की कामना नहीं करती, बल्कि उसमें अपना सारा स्नेह, अपनी प्राथनाएं और जीवन भर की शुभकामनाएं भी बांध देती है।

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    राखी एक बहन की वह शक्ति होती है जो हर मुश्किल में अपने भाई के साथ खड़ी रहती है, भले ही वह दूर क्यों न हो। ऐसे में बहुत से भाइयों के मन में यह भाव आता है कि कलाई पर बंधी राखी को कितने दिन तक पहनना चाहिए? कब इसे उतारना ठीक रहेगा? क्या इसके लिए कोई विशेष नियम (Raksha Bandhan niyam) होता है?

    इस सवाल का उत्तर केवल परंपरा में नहीं, बल्कि उस भावना में छिपा है जिससे राखी बांधी गई थी। आइए इसे प्रेम, श्रद्धा और व्यवहार के साथ समझें-

    राखी कितने दिन तक पहननी चाहिए?

    धार्मिक मान्यताओं के अनुसार रक्षाबंधन का पर्व समाप्त होने के 24 घंटे बाद राखी उतारी जा सकती है। यदि आपने सुबह राखी बंधवाई है, तो अगले दिन उसी समय के बाद आप इसे उतार सकते हैं।

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    लेकिन कई आध्यात्मिक विद्वानों का मत है कि राखी को जन्माष्टमी तक पहनकर रखना चाहिए, क्योंकि यह पवित्र पर्व भाई की रक्षा से जुड़ा हुआ है और जन्माष्टमी तक का समय धार्मिक रूप से बहुत शक्तिशाली माना जाता है। इस गणना से राखी 21 दिनों तक कलाई पर रह सकती है।

    राखी उतारने का सही तरीका

    राखी को केवल धागा समझकर कभी भी यूं ही न फेंकें। यह बहन के प्रेम, विश्वास और आशीर्वाद का प्रतीक है। इसे उतारते समय नीचे दिए गए सुझावों का पालन करें:

    राखी को शुद्ध देशी घी या कपूर के साथ अग्नि में आहुति देना एक पवित्र तरीका माना गया है। मान्यता है कि अग्नि देवता सभी नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करते हैं और राखी में समाहित बहन के आशीर्वाद को शुभ रूप में स्वीकार कर लेते हैं। यह विधि विशेष रूप से तब उपयोगी है जब पास में न तो कोई नदी हो और न ही तुलसी या पीपल जैसे पवित्र वृक्ष।

    अगर आपके घर के पास कोई ऐसा मंदिर हो जहां पूजन सामग्री और धार्मिक वस्तुओं के लिए उचित व्यवस्था हो, तो आप अपनी राखी को वहां श्रद्धापूर्वक रख सकते हैं। ऐसा करना न सिर्फ पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी है, बल्कि यह राखी के पवित्र भाव को एक देवस्थान में सम्मानपूर्वक विदाई देने का सबसे सुंदर तरीका भी माना जाता है।

    यदि राखी किसी कारणवश टूट जाए या अशुद्ध हो जाए, तो उसे यूं ही न फेंकें। उसे शुद्ध जल से छूकर साफ करें और फिर तुलसी के पौधे के पास आदरपूर्वक रखें। साथ ही मन में बहन के प्रेम और भगवान से रक्षाबंधन की पूर्णता के लिए धन्यवाद करें। यह छोटी-सी विदाई भी आपकी भावना को पवित्र बनाती है।

    आंतरिक भावना ही सबसे बड़ा नियम

    राखी का उतारना केवल समय का विषय नहीं, यह एक आस्था और भाव से जुड़ा निर्णय है। जब भी आप इसे उतारें, उस समय मन में प्रेम, स्नेह और सम्मान अवश्य रखें। क्योंकि बहन के हाथों बांधा गया यह धागा केवल शरीर पर नहीं, हृदय में भी स्थान रखता है।

    सार

    राखी को कितने दिन पहनना है और कैसे उतारना है इसका निर्णय श्रद्धा, परंपरा और परिस्थिति के अनुसार लिया जा सकता है। आप चाहें तो इसे रक्षाबंधन के अगले दिन उतारें या जन्माष्टमी तक रखें दोनों ही दृष्टिकोण धार्मिक रूप से मान्य हैं। बस इतना ध्यान रखें कि जब भी राखी उतारें, उसे प्रेम, सम्मान और पवित्रता के साथ विदाई दें।

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    लेखक: दिव्या गौतम, Astropatri.com अपनी प्रतिक्रिया देने के लिए hello@astropatri.com पर संपर्क करें।