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    Kalpvas 2026: क्यों किया जाता है कल्पवास? संगम तट पर कब से शुरू होगा एक महीने का त्याग

    Updated: Mon, 22 Dec 2025 04:03 PM (IST)

    प्रयागराज में संगम तट पर माघ महीने में होने वाला 'कल्पवास' एक पवित्र आध्यात्मिक तपस्या है। इसे 'तीर्थराज' में आत्मा के शुद्धिकरण और जन्म-मरण के बंधन स ...और पढ़ें

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    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। प्रयागराज, जिसे 'तीर्थराज' यानी तीर्थों का राजा कहा जाता है। ये शहर हर साल माघ के महीने में एक अलौकिक आध्यात्मिक नगरी में बदल जाता है। यहां गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती के पावन संगम तट पर बिताया जाने वाला एक महीना 'कल्पवास' कहलाता है। ये महीना मात्र मात्र एक परंपरा नहीं बल्कि आत्मा के शुद्धिकरण की एक कठिन तपस्या है। साल 2026 में होने वाला माघ मेला और कल्पवास विशेष महत्व रखता है।

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    मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति माघ के महीने में संगम के तट पर निवास कर नियमों का पालन करता है, उसे जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। कल्पवास का अर्थ ही है- एक निश्चित समय (कल्प) तक पवित्र स्थान पर निवास (वास) करना। यह समय होता है खुद को ईश्वर के करीब महसूस करने का होता है।

    परंपरा के अनुसार, कल्पवास की शुरुआत पौष माह की पूर्णिमा के दिन संकल्प लेकर की जाती है. हालांकि, श्रद्धालु अपनी क्षमता के अनुसार कल्पवास करते हैं. आप 5, 11 और 21 दिनों का संकल्प भी ले सकते हैं.

    2026 प्रयागराज कल्पवास और माघ मेले से जुड़ी जानकारी-

    तारीखें: साल 2026 में माघ मेले की शुरुआत 03 जनवरी से होगी। हालांकि, मुख्य कल्पवास का संकल्प पौष पूर्णिमा से लिया जाता है और इसका समापन माघी पूर्णिमा के पवित्र स्नान के साथ होता है।

    तीन बार स्नान का नियम: कल्पवासियों के लिए सबसे कठिन नियमों में से एक है कड़ाके की ठंड में रोजाना तीन बार (सुबह, दोपहर और शाम) संगम में डुबकी लगाना। इसे शरीर और मन की शुद्धि का मार्ग माना जाता है।

    एक समय का भोजन: कल्पवास (Kalpvas 2026) के दौरान श्रद्धालु दिन भर में केवल एक बार 'अल्पाहार' या सात्विक भोजन करते हैं। यह भोजन अक्सर स्वयं अपने हाथों से मिट्टी के चूल्हे पर बनाया जाता है।

    भूमि शयन: विलासिता का त्याग करते हुए कल्पवासी नरम बिस्तरों के बजाय जमीन पर पतली चटाई बिछाकर सोते हैं। इसे 'भूमि शयन' कहा जाता है, जो अहंकार को खत्म करने का प्रतीक है।

    सत्य और अहिंसा का पालन: इस दौरान कल्पवासी को मन, वचन और कर्म से शुद्ध रहना होता है। किसी की निंदा करना, झूठ बोलना, क्रोध करना या अपशब्द कहना वर्जित माना गया है।

    भजन और सत्संग: कल्पवास का पूरा दिन ईश्वर की भक्ति, दान-पुण्य और साधु-संतों के प्रवचन सुनने में व्यतीत होता है। संगम तट पर गूंजते शंख और घंटों की आवाज एक दिव्य वातावरण तैयार करती है।

    कल्पवास के दौरान क्या न करें

    माघ मेले (Magh Mela) के दौरान मांसाहार, शराब, प्याज और लहसुन जैसे तामसिक भोजन का पूरी तरह त्याग करना होता है। साथ ही, गृहस्थ सुखों से दूर रहकर ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य है।

    धार्मिक फल: गरुड़ पुराण और अन्य ग्रंथों के अनुसार, संगम पर कल्पवास करने वाले व्यक्ति के कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं और उसे सीधे स्वर्ग की प्राप्ति होती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।