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    Pradosh Vrat 2025 Dates: ज्येष्ठ महीने में कब-कब है प्रदोष व्रत? यहां जानें डेट और शुभ संयोग

    प्रत्येक माह के कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि (Pradosh Vrat 2025 Dates) देवों के देव महादेव को समर्पित है। इस शुभ अवसर पर भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। भगवान शिव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में सुखों का आगमन होता है।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Wed, 07 May 2025 05:00 PM (IST)
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    Pradosh Vrat 2025 Dates: प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में ज्येष्ठ महीने का खास महत्व है। यह महीना जगत के पालनहार भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस महीने में गंगा दशहरा और निर्जला एकादशी जैसे प्रमुख पर्व मनाए जाते हैं। इसके साथ ही कई अन्य महत्वपूर्ण व्रत एवं त्योहार ज्येष्ठ महीने में मनाया जाता है। निर्जला एकादशी ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। निर्जला एकादशी के एक दिन पहले गंगा दशहरा मनाया जाता है।

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    इसके साथ ही कृष्ण और शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी को प्रदोष व्रत रखा जाता है। इस शुभ अवसर पर देवों के देव महादेव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही उनके निमित्त व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान शिव का जलाभिषेक और रुद्राभिषेक किय जाता है। आइए, ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले प्रदोष व्रत की सही डेट एवं शुभ मुहूर्त जानते हैं-

    प्रदोष व्रत 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2025 Date and Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 24 मई को शाम 07 बजकर 20 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 25 मई को दोपहर 03 बजकर 51 मिनट पर त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। इसके लिए 24 मई को ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 20 मिनट से लेकर 09 बजकर 13 मिनट तक है। शनिवार के दिन पड़ने के चलते यह शनि प्रदोष व्रत कहलाएगा।

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    प्रदोष व्रत 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat 2025 Date and Shubh Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 08 जून को सुबह 07 बजकर 17 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, 09 जून को सुबह 09 बजकर 35 मिनट पर त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है।

    वहीं, प्रदोष व्रत पर संध्याकाल यानी प्रदोष काल में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। इसके लिए 08 जून को ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत रखा जाएगा। इस दिन भगवान शिव की पूजा के लिए शुभ मुहूर्त शाम 07 बजकर 18 मिनट से लेकर 09 बजकर 19 मिनट तक है। रविवार के दिन पड़ने के चलते यह रवि प्रदोष व्रत कहलाएगा।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।