Pradosh Vrat पर दुर्लभ 'शिववास योग' समेत बन रहे हैं कई मंगलकारी संयोग, बनेंगे सारे बिगड़े काम
शिव पुराण में वर्णित है कि प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025) का फल दिन अनुसार प्राप्त होता है। शुक्रवार के दिन पड़ने के चलते यह शुक्र प्रदोष व्रत कहलाता है। शुक्र प्रदोष व्रत करने से सुखों में वृद्धि होती है। इस शुभ अवसर पर मंदिरों में भगवान शिव की विशेष पूजा की जाती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, 09 मई को प्रदोष व्रत है। यह पर्व देवों के देव महादेव को समर्पित होता है। इस दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए साधक व्रत रखते हैं। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से साधक पर भगवान शिव और मां पार्वती की कृपा बरसती है। उनकी कृपा से साधक को हर परेशानी से मुक्ति मिलती है।
ज्योतिषियों की मानें तो वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर शिववास योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी। साथ ही शुभ कामों में सफलता मिलेगी। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
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प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (Pradosh Vrat Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, 09 मई को दोपहर 02 बजकर 56 मिनट पर वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि शुरू होगी। वहीं, 10 मई को शाम 05 बजकर 29 मिनट पर त्रयोदशी तिथि समाप्त होगी। त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा की जाती है। इसके लिए 09 मई को प्रदोष व्रत मनाया जाएगा।
शुभ योग (Pradosh Vrat Shubh Yog)
ज्योतिषियों की मानें तो शुक्र प्रदोष व्रत पर शिववास योग का संयोग बन रहा हैं। शिववास योग का संयोग दिनभर है। दोपहर 02 बजकर 56 मिनट तक भगवान शिव कैलाश पर रहेंगे। इसके बाद नंदी पर सवार रहेंगे। शिववास योग बेहद मंगलकारी है। इस योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है।
माघ माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर अभिजीत मुहूर्त दिन में 11 बजकर 51 मिनट से लेकर 12 बजकर 45 मिनट तक है। वहीं, बालव करण दोपहर 02 बजकर 56 मिनट तक है। इसके बाद कौलव जबकि, हस्त नक्षत्र का संयोग देर रात तक है। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होगी।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 34 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 01 मिनट पर
- चन्द्रोदय- शाम 04 बजकर 14 मिनट पर
- चंद्रास्त- सुबह 03 बजकर 57 मिनट पर (10 मई)
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 10 मिनट से 04 बजकर 52 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 32 मिनट से 03 बजकर 26 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजे से 07 बजकर 21 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात 11 बजकर 56 मिनट से 12 बजकर 38 मिनट तक
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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