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    यह निर्जला एकादशी लाएगी विशेष कृपा! 'भद्रावास' के साथ बन रहे हैं कई मंगलकारी योग, मिलेगा मनचाहा फल

    धार्मिक मत है कि निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2025) के दिन लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलेगी। साधक जगत के पालनहार भगवान मधुसूदन को प्रसन्न करने के लिए निर्जला व्रत रखते हैं।

    By Pravin KumarEdited By: Pravin KumarUpdated: Mon, 05 May 2025 09:00 PM (IST)
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    Nirjala Ekadashi 2025: निर्जला एकादशी कब है?

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, शुक्रवार 06 जून को निर्जला एकादशी है। यह पर्व ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। निर्जला एकादशी का महत्व अन्य एकादशियों के अनुपात में बहुत अधिक है। इस शुभ अवसर पर साधक निर्जला व्रत रख अपने आराध्य भगवान मधुसूदन और मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं।

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    ज्योतिषियों की मानें तो निर्जला एकादशी के दिन कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होगी। साथ ही साधक पर लक्ष्मी नारायण की कृपा बरसेगी। उनकी कृपा से जीवन में खुशियों का आगमन होगा। आइए, निर्जला एकादशी की सही डेट ( Nirjala Ekadashi 2025 Date) और बनने वाले शुभ योग के बारे में सबकुछ जानते हैं-

    यह भी पढ़ें: ज्येष्ठ में कब है पावन एकादशी! नोट करें व्रत का दिन और शुभ संयोग

    निर्जला एकादशी शुभ मुहूर्त (Nirjala Ekadashi Shubh Muhurat)

    06 जून को देर रात 02 बजकर 15 मिनट पर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि शुरू होगी। वहीं,  07 जून को सुबह 04 बजकर 47 मिनट पर ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि समाप्त होगी। सनातन धर्म में सूर्योदय से तिथि की गणना होती है। इसके लिए 06 जून को निर्जला एकादशी मनाई जाएगी।

    निर्जला एकादशी पारण (Nirjala Ekadashi Parana Timing)

    सामान्य जन  06 जून को एकादशी का व्रत रखेंगे। वहीं, 07 जून को पारण कर सकते हैं। 07 जून को पारण का समय दोपहर 01 बजकर 44 मिनट से लेकर शाम 04 बजकर 31 मिनट तक है। इस दौरान साधक सुविधा अनुसार समय पर लक्ष्मी नारायण जी की पूजा कर पारण कर सकते हैं। वहीं, पूजा के बाद आर्थिक स्थिति के अनुसार दान अवश्य करें।

    निर्जला एकादशी भद्रावास योग

    ज्योतिषियों की मानें तो ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि पर भद्रावास योग का दुर्लभ संयोग बन रहा है। इस शुभ अवसर पर भद्रा पाताल में रहेंगी। भद्रा का पाताल में रहना शुभ माना जाता है। भद्रा दोपहर 03 बजकर 31 मिनट से लेकर अगले दिन सुबह 04 बजकर 47 मिनट तक भद्रा पाताल में रहेंगी।  

    वरीयान योग

    निर्जला एकादशी के दिन वरीयान योग का भी संयोग बन रहा है। वरीयान योग का शुभ संयोग सुबह 10 बजकर 14 मिनट से हो रहा है। ज्योतिष वरीयान योग को शुभ मानते हैं। इस योग में लक्ष्मी नारायण जी की पूजा करने से शुभ कामों में सफलता मिलेगी।  

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 17 मिनट पर
    • चन्द्रोदय- दोपहर 03 बजकर 01 मिनट पर
    • चन्द्रास्त- देर रात 02 बजकर 27 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 02 मिनट से 04 बजकर 42 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 39 मिनट से 03 बजकर 35 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 16 मिनट से 07 बजकर 36 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात 12 बजे से 12 बजकर 40 मिनट तक

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।