Trending

    Move to Jagran APP
    pixelcheck
    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    Nirjala Ekadashi 2025: भीमसेन से कैसे जुड़ा है निर्जला एकादशी का नाता, यहां जानिए इसका महत्व

    Updated: Wed, 07 May 2025 10:18 AM (IST)

    साल की 24 एकादशी में से निर्जला एकादशी का अधिक महत्व माना जाता है। साथ ही धार्मिक ग्रंथों में यह भी कहा गया है कि इस एकादशी का व्रत करने से साधक को 24 एकादशी का व्रत करने जितना ही फल मिलता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि निर्जला एकादशी कब और क्यों मनाई जाती है।

    Hero Image
    Nirjala Ekadashi 2025 kab hai (Picture Credit: Freepik)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। एकादशी तिथि पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की विशेष रूप से पूजा-अर्चना की जाती है। हर महीने में 2 बार एकादशी का व्रत किया जाता है। एकादशी व्रत करने से साधक को जीवन में सुख और वैभव की प्राप्ति हो सकती है। ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी पर निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi 2025) को भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है, जिसके पीछे एक पौराणिक प्रसंग मिलता है। चलिए जानते हैं उसके बारे में।

    विज्ञापन हटाएं सिर्फ खबर पढ़ें

    कब है निर्जला एकादशी

    ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि 6 जून को देर रात 02 बजकर 15 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 7 जून को प्रातः 4 बजकर 47 मिनट पर होगा। ऐसे में निर्जला एकादशी का व्रत शुक्रवार 6 जून को किया जाएगा। वहीं वैष्णव निर्जला एकादशी शनिवार, जून 7 को मनाई जाएगी।

    स्वयं वेदव्यास ने समझाया महत्व

    पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार वेदव्यास पांडवों को एकादशी व्रत का संकल्प करवा रहे थे, तभी भीम ने वेदव्यास जी से निवेदन किया कि हे पितामह! आपने प्रति पक्ष की एकादशी पर उपवास की बात कही है। मेरे पेट में वृक नाम की जो अग्नि है, उसे शात रखने के लिए मुझे भोजन करने की जरूरत पड़ती है। ऐसे में मैं भोजन के बगैर नहीं रह सकता। इस प्रकार तो मैं एकादशी जैसे पुण्य व्रत से वंचित रह जाउंगा।

    यह भी पढ़ें - June Ekadashi 2025 Dates: जून में कब-कब है एकादशी? जान लें सही डेट एवं महत्व

    भीमसेन को दिया ये सुझाव

    तब वेदव्यास जी भीम से कहते हैं कि यदि तुम्हारे लिए प्रत्येक एकादशी का व्रत रखना संभव नहीं है, तो तुम केवल ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला एकादशी की एक व्रत करो। इस व्रत को करने से तुम्हें वर्ष की समस्त एकादशी व्रत को करने का फल मिलेगा।

    साथ ही तुम इस लोक में सुख और यश को भोगकर मृत्यु के पश्चात मोक्ष लाभ प्राप्त करोगे। भीमसेन निर्जला एकादशी का विधिवत व्रत करने के लिए सहमत हो गए। इसी कारण से निर्जला एकादशी को भीमसेनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

    यह भी पढ़ें - यह निर्जला एकादशी लाएगी विशेष कृपा! 'भद्रावास' के साथ बन रहे हैं कई मंगलकारी योग, मिलेगा मनचाहा फल

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।