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    Pradosh Vrat 2025 Date: आषाढ़ महीने का पहला प्रदोष व्रत कब है? व्रत रखने से पहले जान लें ये जरूरी बातें

    Updated: Tue, 27 May 2025 03:48 PM (IST)

    प्रदोष व्रत (Pradosh Vrat 2025 Date) भगवान शिव को समर्पित है और यह हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विशेष पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से भक्तों के सभी कष्ट दूर होते हैं। इसके साथ ही सुख-शांति की प्राप्ति होती है।

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    Ashadha Pradosh Vrat 2025: आषाढ़ प्रदोष व्रत पूजा विधि।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में प्रदोष व्रत बहुत मंगलकारी माना जाता है। यह भगवान शिव को समर्पित है। यह व्रत हर महीने की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। इस शुभ तिथि (Ashadha Pradosh Vrat 2025) पर भक्त भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करते हैं।

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    इसके साथ ही कठिन उपवास करते हैं। वहीं, आषाढ़ महीने का पहला प्रदोष व्रत कब है? आइए इस आर्टिकल में जानते हैं।

    आषाढ़ प्रदोष व्रत 2025 डेट और शुभ मुहूर्त (Ashadha Pradosh Vrat 2025 Date and Shubh Muhurat)

    हिंदू पंचांग के अनुसार, आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि 23 जून को रात 01 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगी। वहीं, इसका समापन 23 जून को रात 10 बजकर 09 मिनट पर होगी। वहीं, पंचांग को देखते हुए आषाढ़ महीने का पहला प्रदोष व्रत 23 जून, 2025 को रखा जाएगा।

    आषाढ़ प्रदोष व्रत पूजा विधि (Ashadha Pradosh Vrat 2025 Puja Vidhi)

    • प्रदोष व्रत के दिन सुबह जल्दी उठें और स्नान करें।
    • भगवान शिव का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।
    • व्रती सिर्फ फलाहार ही कर सकते हैं।
    • अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार व्रत रखें।
    • प्रदोष काल में भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान गणेश, कार्तिकेय जी और नंदी महाराज की विधिवत पूजा करें।
    • शिवलिंग पर गंगाजल, पंचामृत, बेलपत्र, धतूरा, भांग, शमी पत्र और सफेद फूल अर्पित करें।
    • 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करें।
    • प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें या सुनें।
    • पूजा के अंत में भगवान शिव और माता पार्वती की आरती करें।
    • अगले दिन व्रत का पारण करें।

    प्रदोष व्रत का धार्मिक महत्व (Pradosh Vrat 2025 Significance)

    प्रदोष व्रत करने से भगवान शिव और माता पार्वती खुश होती हैं। यह दिन उनके मिलन का प्रतीक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सोमवार को पड़ने वाला प्रदोष 'सोम प्रदोष', मंगलवार को 'भौम प्रदोष' और शुक्रवार को 'शुक्र प्रदोष' कहलाता है, और इन सभी का अपना विशेष महत्व होता है। जो भक्त इस कठिन व्रत का पालन करते हैं, उनके सभी कष्ट दूर होते हैं।

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    स्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।