Parshuram Jayanti 2025: क्या आप जानते हैं परशुराम की हाथों की मुद्रा का रहस्य, बहुत ही खास है अर्थ
भगवान परशुराम 8 चिरनजीवियों में से एक हैं। परशुराम जी (Lord Parasurama) भगवान विष्णु के कई अवतारों में से एक हैं जो बहुत ही उग्र भी माने जाते हैं। आपने परशुराम जी के चित्रों में उनके दाहिने हाथ को एक खास मुद्रा बनाए देखा होगा। लेकिन क्या आप इस मुद्रा का रहस्य जानते हैं। अगर नहीं तो चलिए जानते हैं इस बारे में।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हर साल वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि यानी अक्षय तृतीया पर परशुराम जयंती मनाई जाती है। धार्मिक मत के अनुसार, परशुराम जी भगवान विष्णु के छठवें अवतार यानी परशुराम जी का अवतरण इसी तिथि पर प्रदोष काल में हुआ था। यही कारण है कि इस दिन पर प्रदोष काल में पूजा करना काफी शुभ माना जाता है।
क्या है अर्धपताका मुद्रा
परशुराम जी की इस खास मुद्रा को अर्धपताका मुद्रा कहा जाता है, जिसमें तर्जनी और मध्यमा उंगलियों को प्रदर्शित कर यह मुद्रा बनाई जाती है। अर्धपताका का शाब्दिक अर्थ है “आधा झंडा”। इसका वर्णन इस श्लोक में भी मिलता है -
वामं कटितते न्यास्य दक्षिणेर्धा पातिका
धृतौ परशुरामस्य हस्त इत्यभिधीयते।
इस श्लोक में परशुराम जी की अर्धपताका मुद्रा के बारे में बताया गया है, जिसमें परशुराम जी ने अपना दाहिना हाथ ऊपर उठाकर यह मुद्रा बनाई हुई है। असल में परशुराम जी की यह मुद्रा उनकी इस प्रतिज्ञा को दर्शाती है कि वह दुष्ट राजाओं को दंडित करेंगे और सज्जन लोगों को सुरक्षा प्रदान करेंगे।
कैसे पड़ परशुराम नाम
परशुराम जी का जन्म ऋषि जमदग्रि और रेणुका के पुत्र के रूप में हुआ था। ऋषि जमदग्रि ने बचपन में इनका नाम राम रखा था। भगवान विष्णु के इन अवतार ने अपने हाथ में परशु अस्त्र (भार्गवास्त्र) धारण किया हुआ है, जो उन्हें भगवान शिव ने प्रदान किया था। इसलिए इनका नाम परशुराम पड़ गया।
यह भी पढ़ें - Akshaya Tritiya 2025: अक्षय तृतीया पर किए गए इन कामों से जीवनभर मिलेगा लाभ, नहीं सताएंगे दुख
क्या था उद्देश्य
माना जाता है कि भगवान विष्णु के परशुराम अवतार लेने का उद्देश्य संसाधनों को लूटने वाले और राजा के रूप में अपने कर्तव्यों की उपेक्षा करने वाले पापी और अधार्मिक राजाओं का विनाश करना था। धार्मिक ग्रंथों में इस बात का वर्णन मिलता है कि परशुराम जी ने धरती को 21 बार क्षत्रियों से विहीन कर दिया था।
यह भी पढ़ें - Parashurama Jayanti 2025: पहली बार सहस्त्रबाहु फिर 20 बार क्षत्रियों का विनाश किया, क्यों था परशुराम को इतना क्रोध?
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।