Mangalwar ke Upay: मंगलवार के दिन पूजा के समय भगवान शिव को अर्पित करें ये चीजें, हर राह हो जाएगी आसान
ज्योतिष शास्त्र में मंगलवार के दिन विशेष उपाय करने का भी विधान है। हनुमान जी की पूजा के समय सिंदूर अर्पित करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही जीवन में मंगल का आगमन होता है।

Mangalvar Ke Upay: हनुमान जी को कैसे प्रसन्न करें
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, मंगलवार 24 जून को आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि है। चतुर्दशी तिथि शाम 06 बजकर 59 मिनट तक है। इसके बाद अमावस्या तिथि है। मंगलवार का दिन राम भक्त हनुमान जी को प्रिय है। इस शुभ अवसर पर भगवान राम संग हनुमान जी की पूजा की जाती है।
धार्मिक मत है कि हनुमान जी की पूजा करने से व्यक्ति को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। साथ ही करियर और कारोबार में मनमुताबिक सफलता मिलती है। हनुमान जी की पूजा करने से शनि और मंगल की बाधा भी दूर होती है। अगर आप भी अपने जीवन में सफल होना चाहते हैं, तो मंगलवार के दिन पूजा के समय भगवान शिव को ये चीजें अवश्य ही अर्पित करें।
राशि अनुसार अभिषेक
मेष राशि के जातक पूजा के समय बेल पत्र पर जय श्रीराम लिखकर भगवान शिव को अर्पित करें।
वृषभ राशि के जातक पूजा के समय पंचामृत से देवों के देव महादेव का विधिवत अभिषेक करें।
मिथुन राशि के पूजा के समय भगवान शंकर को शमी के पत्ते और बेल पत्र अर्पित करें।
कर्क राशि के जातक स्नान-ध्यान के बाद पूजा के समय दूध से देव महादेव का अभिषेक करें।
सिंह राशि के जातक पूजा करते समय भगवान शिव को भांग के पत्ते और मदार के फूल अर्पित करें।
कन्या राशि के जातक पूजा के समय गंगाजल में पान के पत्ते भगवान शिव का अभिषेक करें।
तुला राशि के जातक पूजा के समय भगवान शिव को पंचामृत और मिठाई अर्पित करें।
वृश्चिक राशि के जातक पूजा करते समय गंगाजल में शहद मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें।
धनु राशि के जातक पूजा के समय गंगाजल में आक का फूल भगवान शिव को अर्पित करें।
मकर राशि के जातक पूजा के दौरान गंगाजल में काले तिल मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करें।
कुंभ राशि के जातक पूजा के समय देवों के देव महादेव को काले तिल और शमी के पत्ते अर्पित करें।
मीन राशि के जातक पूजा करते समय गाय के शुद्ध घी से देवों के देव महादेव का अभिषेक करें।
ऋणमोचन अङ्गारकस्तोत्रम्
रक्तमाल्याम्बरधरः शूलशक्तिगदाधरः ।
चतुर्भुजो मेषगतो वरदश्च धरासुतः ॥
मङ्गलो भूमिपुत्रश्च ऋणहर्ता धनप्रदः ।
स्थिरासनो महाकायो सर्वकामफलप्रदः ॥
लोहितो लोहिताक्षश्च सामगानां कृपाकरः ।
धरात्मजः कुजो भौमो भूमिदो भूमिनन्दनः ॥
अङ्गारको यमश्चैव सर्वरोगापहारकः ।
सृष्टेः कर्ता च हर्ता च सर्वदेशैश्च पूजितः ॥
एतानि कुजनामानि नित्यं यः प्रयतः पठेत् ।
ऋणं न जायते तस्य श्रियं प्राप्नोत्यसंशयः ॥
अङ्गारक महीपुत्र भगवन् भक्तवत्सल ।
नमोऽस्तु ते ममाशेषं ऋणमाशु विनाशय ॥
रक्तगन्धैश्च पुष्पैश्च धूपदीपैर्गुडोदनैः ।
मङ्गलं पूजयित्वा तु मङ्गलाहनि सर्वदा ॥
एकविंशति नामानि पठित्वा तु तदन्तिके ।
ऋणरेखा प्रकर्तव्या अङ्गारेण तदग्रतः ॥
ताश्च प्रमार्जयेन्नित्यं वामपादेन संस्मरन् ।
एवं कृते न सन्देहः ऋणान्मुक्तः सुखी भवेत् ॥
महतीं श्रियमाप्नोति धनदेन समो भवेत् ।
भूमिं च लभते विद्वान् पुत्रानायुश्च विन्दति ॥
मूलमन्त्रः
अङ्गारक महीपुत्र भगवन् भक्तवत्सल ।
नमस्तेऽस्तु महाभाग ऋणमाशु विनाशय ॥
अर्घ्यम् । भूमिपुत्र महातेजः स्वेदोद्भव पिनाकिनः ।
ऋणार्थस्त्वां प्रपन्नोऽस्मि गृहाणार्घ्यं नमोऽस्तु ते ॥
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अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
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