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    Nirjala Ekadashi Vrat 2025: इस बर एक नहीं दो बार मनाई जाएगी निर्जला एकादशी, जानें डेट और टाइम

    Updated: Sun, 18 May 2025 12:16 PM (IST)

    हिंदू धर्म में निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi Vrat 2025) का व्रत बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस बार यह एकादशी 6 और 7 जून को दो दिन मनाई जाएगी जो एक शुभ संयोग है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। ऐसी मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी 24 एकादशी का फल मिलता है।

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    Nirjala Ekadashi Vrat 2025: दो दिन पड़ेगा निर्जला एकादशी व्रत।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत बहुत शुभ माना जाता है। इनमें निर्जला एकादशी का बहुत ज्यादा महत्व है। यह व्रत ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। इस दिन अन्न और जल का पूरी तरह से त्याग करना पड़ता है। हालांकि जिनकी तबियत सही नहीं वे अपने क्षमता के अनुसार ही इस व्रत का पालन करें।

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    वहीं, इस बार ये एकादशी (Nirjala Ekadashi 2025) एक नहीं दो बार मनाई जाएगी, जो कि बहुत ज्यादा शुभ माना जा रहा है, तो आइए इससे जुड़ी प्रमुख बातों को जानते हैं, जो इस प्रकार हैं।

    दो दिन पड़ेगा निर्जला एकादशी व्रत (Do Din Nirjala Ekadashi Ka Shubh Sanyog)

    अधिकतर यह व्रत एक दिन पड़ता है, लेकिन इस बार यह दो बार मनाया जा रहा है। 6 जून को एकादशी व्रत हस्त नक्षत्र में रखा जाएगा। वहीं, 7 जून को व्रत चित्रा नक्षत्र में यह व्रत किया जाएगा, जो कि बेहद पुण्यदायी माना जा रहा है। दरअसल, 6 जून को गृहस्थ व्रती व्रत का पालन करेंगे। इसके साथ ही 7 जून को वैष्णव संप्रदाय यानी साधु-संत व्रत करेंगे।

    निर्जला एकादशी व्रत पर दुर्लभ संयोग

    प्रचलित मान्यताओं के अनुसार, निर्जला एकादशी का व्रत रखने से सभी 24 एकादशी का फल मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु की विशेष पूजा की जाती है। साधक निर्जल उपवास रखते हैं और अगले दिन द्वादशी तिथि को सूर्योदय के बाद व्रत का पारण करते हैं। इस व्रत में जल का त्याग करना शारीरिक और मानसिक पवित्रता का प्रतीक माना जाता है।

    इस साल दो बार निर्जला एकादशी का आना एक दुर्लभ संयोग है, जिससे भक्तों को भगवान विष्णु की उपासना करने के दो अवसर प्राप्त होंगे।

    निर्जला एकादशी पर करें इस मंत्र का जप (Nirjala Ekadashi Puja Mantra)

    1. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्

    विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।

    लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्

    वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।