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    कैसे बना सुदर्शन चक्र? यहां जानिए भगवान कृष्ण के दिव्य अस्त्र की कहानी

    Updated: Fri, 16 May 2025 03:01 PM (IST)

    सुदर्श चक्र बेहद शक्तिशाली अस्त्रों में से एक माना जाता है। जब इसे भगवान विष्णु धारण करते हैं तो यह उनकी शक्ति और न्याय का प्रतीक बन जाता है। यह अस्त्र (Sudarshan Chakra Story) बुराई पर अच्छाई की विजय का भी प्रतीक है तो आइए इस आर्टिकल में इस दिव्य अस्त्र की कहानी जानते हैं जो इस प्रकार है।

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    Sudarshan Chakra Story: सुदर्शन चक्र नाम का मतलब।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। भगवान कृष्ण का सुदर्शन चक्र एक ऐसा दिव्य अस्त्र है, जिसका नाम से बड़े से बड़े असुरों के दिल में भय आ जाता है। यह चक्र भगवान कृष्ण के सबसे शक्तिशाली अस्त्रों में से एक माना जाता है। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि इस दिव्य अस्त्र को 'सुदर्शन चक्र' नाम कैसे मिला और इसकी उत्पत्ति की कहानी (Sudarshan Chakra Story) क्या है? अगर नहीं तो आइए इस आर्टिकल में जानते हैं।

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    सुदर्शन चक्र कैसे बना? (Sudarshan Chakra Origin)

    प्रचलित पौराणिक कथाओं के अनुसार, सुदर्शन चक्र का निर्माण भगवान विश्वकर्मा ने किया था। इसकी उत्पत्ति के पीछे एक रोचक कहानी छिपी हुई है। एक समय में जब ऋषि दधीचि ने देवताओं की रक्षा के लिए अपनी अस्थियां दान कर दी थीं। इन्हीं अस्थियों से भगवान विश्वकर्मा ने तीन दिव्य अस्त्रों का निर्माण किया था। पहला भगवान शिव के लिए त्रिशूल, दूसरा इंद्र देव के लिए वज्र और तीसरा भगवान विष्णु के लिए सुदर्शन चक्र।

    सुदर्शन चक्र को विशेष रूप से भगवान विष्णु के लिए बनाया गया था, ताकि वे अन्याय और बुराई का अंत कर सकें। यह अस्त्र बहुत शक्तिशाली था, जिसकी गति मन की गति से भी तेज मानी जाती थी। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह थी कि यह एक बार छोड़े जाने के बाद अपने लक्ष्य को पूरा करके वापस लौटता था।

    सुदर्शन शब्द का मतलब (Sudarshan Chakra Meaning)

    अब बात करते हैं इसके नाम की। 'सुदर्शन' शब्द दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है। 'सु' का अर्थ है अच्छा या शुभ और 'दर्शन' का मतलब है देखना। इस तरह 'सुदर्शन' का पूरा मतलब इस प्रकार है - 'जो अच्छी तरह से देखता है' या 'जिसका दर्शन शुभ हो'।

    कई महत्वपूर्ण समय पर किया था इसका उपयोग

    भगवान कृष्ण ने सुदर्शन चक्र का उपयोग कई महत्वपूर्ण समय पर किया था। जैसे - महाभारत के युद्ध में उन्होंने भीष्म पितामह को शरशय्या पर लेटाने में अर्जुन की सहायता की थी। इसके अलावा शिशुपाल का वध करने और अन्य समय में इस दिव्य अस्त्र का उपयोग किया था।

    शक्तिशाली अस्त्र

    सुदर्शन चक्र न केवल एक शक्तिशाली अस्त्र है, बल्कि यह ब्रह्मांडीय व्यवस्था और धर्म की रक्षा का भी प्रतीक है। भगवान कृष्ण के हाथों में यह दिव्य अस्त्र अन्याय के खिलाफ लड़ने और धर्म की स्थापना करने की उनकी प्रतिज्ञा का प्रतीक है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।