Lord Vishnu: भगवान विष्णु कैसे कहलाए नारायण, जानिए अन्यों नामों का भी अर्थ
Lord Vishnu भगवान विष्णु को जगत के पालनहार के रूप में जाना जाता है। भगवान विष्णु हिंदू धर्म में त्रिदेव के रूप में पूजे जाने वाले ब्रह्मा विष्णु और महेश में शामिल हैं। उन्हें सभी सनातन धर्म में एक श्रेष्ठ स्थान प्राप्त है। ब्रह्माजी ने इस सृष्टि की रचना की है विष्णु जी पालन कर रहे हैं और भगवान शिव संहार के देवता माने गए हैं।

नई दिल्ली, अध्यात्म। Lord Vishnu: भगवान विष्णु के अनेक नाम हैं जैसे- हरि, अच्युत, जनार्दन, अनंत, पुरुषोत्तम आदि। इन सभी नामों का अपना महत्व है। भगवान विष्णु को नारायण के रूप में भी जाना जाता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भगवान विष्णु, नारायण कैसे कहलाए। चलिए जानते हैं इसके पीछे की पौराणिक कथा।
ऐसे पड़ा नारायण नाम
पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान विष्णु के अनंत भक्त देवर्षि नारद भगवान विष्णु को नारायण कहकर पुकारा करते थे। जल का पर्यायवाची शब्द नीर है। जिसे संस्कृत में उपयोग करते समय कुछ विशेष स्थितियों में नर भी कहा जाता है। नारायण का शाब्दिक अर्थ है कि- जल जिसका प्रथम अयन या अधिष्ठान यानी रहने का स्थान हो। क्योंकि भगवान विष्णु वैकुण्ठ धाम में क्षीरसागर में अतल अर्थात गहराई में निवास करते हैं इसलिए उन्हें नारायण कहकर पुकारा जाता है।
जानें अन्य नामों के अर्थ
विष्णु नाम का अर्थ - कमल जैसे नयन, चतुर्भुजी और कौस्तुकमणि से सुशोभित होने और सर्वत्र व्यापक होने के कारण नारायण भगवान को विष्णु कहा जाता है।
हरि नाम का अर्थ- भगवान विष्णु जगत के पालनकर्ता होने के साथ-साथ दुख हरता भी हैं। इसलिए उन्हें हरि कहकर भी संबोधित किया जाता है।
अच्युत नाम का अर्थ- भगवान विष्णु के इस नाम का मतलब होता है जिसे नष्ट न किया जा सके और जो अमर हो।
पुरुषोत्तम नाम का अर्थ- "पुरुषोत्तम" नाम का अर्थ है "पुरुषों में सबसे श्रेष्ठ" और यह विष्णु के कई विशेषणों में से एक है।
कैसे हुई भगवान विष्णु की उत्पत्ति
शिव पुराण के अनुसार, भगवान शिव ने विष्णु जी को उत्पन्न किया। एक बार शिव जी ने पार्वती से कहा कि एक ऐसा पुरुष होना चाहिए जो सृष्टि का पालन कर सके। शक्ति के प्रताप से विष्णु जी का आर्विभाव हुआ। उनका रूप अद्वितीय था। उनके नयन कमल जैसे थे। वह चतुर्भुजी होने के साथ-साथ कौस्तुकमणि से भी सुशोभित थे। साथ ही सर्वत्र व्यापक होने के कारण उनका नाम विष्णु पड़ा। उन्होंने विश्व के पालन करने का कार्यभार संभाला। तभी से वह जगत पालनहान भी कहलाते हैं।
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