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द्वापर युग के 7 स्‍थान जहां भगवान श्रीकृष्‍ण ने बिताए थे खास पल

द्वापर युग में भगवान कृष्‍ण ने अपने जीवन के खास पल कुछ महत्‍वपूर्ण स्‍थानों में बिताये थे। जो अब मशहूर धर्मिक स्‍थल हैं। हम आप को आज उन सात स्‍थानों के बारे में बताने जा रहे हैं।

By prabhapunj.mishraEdited By: Published: Fri, 30 Jun 2017 12:03 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jul 2017 11:22 AM (IST)
द्वापर युग के 7 स्‍थान जहां भगवान श्रीकृष्‍ण ने बिताए थे खास पल
द्वापर युग के 7 स्‍थान जहां भगवान श्रीकृष्‍ण ने बिताए थे खास पल

श्रीकृष्ण जन्मभूमि

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यह है मथुरा स्‍थ‌ित भगवान श्रीकृष्‍ण की जन्मस्‍थली। यहीं कंस के कारागार में भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्म हुआ था। अब यहां कारागार तो नहीं है लेक‌िन अंदर का नजारा इस तरह बनाया गया है क‌ि आपको लगेगा क‌ि हां यहीं पैदा हुए थे श्री कृष्‍ण। यहां एक हॉल में ऊंचा चबूतरा बना हुआ है। यह चबूतरा उसी स्‍थान पर है जहां श्री कृष्‍ण ने धरती पर पहला कदम रखा था। श्रद्धालु इसी चबूतरे से स‌िर ट‌िकाकर भगवान का आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।

नंदराय मंदिर

यह है नंद गांव स्‍थ‌ित नंदराय का मंद‌िर। कंस के भय से वसुदेव जी यहीं नंदराय और माता यशोदा के पास श्री कृष्‍ण को छोड़ गए थे। यहां नंदराय जी का न‌िवास था और श्री कृष्‍णका बालपन गुजरा था। आज यहां भव्य मंद‌िर है। यहीं पास में एक सरोवर है। ज‌िसे पावन सरोवर कहते हैं। माना जाता है क‌ि इसी सरोवर में माता यशोदा श्री कृष्‍ण को स्नान कराया करती थीं।

भद्रकाली मंदिर

हरियाण के कुरुक्षेत्र में स्‍थ‌ित भद्रकाली मंद‌िर के बारे में माना जाता है क‌ि यह एक शक्त‌िपीठ है। यहां पर भगवान श्रीकृष्‍ण और बलराम का मुंडन हुआ था। यहां आज भी भगवान श्रीकृष्ण के पद्चिन्ह मौजूद हैं। यहां श्रीकृष्ण के उन्हीं पद्च‌िन्हों और गाय के पांच खुरों के प्राकृत‌िक च‌िन्हों की पूजा की जाती है।

द्वारकाधीश मंदिर

यह है गुजरात स्‍थ‌ित द्वारिकाधीश मंद‌िर। मथुरा छोड़कर श्री कृष्‍ण ने यहां अपनी नगरी बसाई थी। सागर तट पर बना यह मंद‌िर द्वारिकाधीश श्रीकृष्‍ण का राजमहल माना जाता है। आज यह स्‍थान व‌िष्‍णु भक्तों के ल‌िए मोक्ष का द्वार माना जाता है। आसमान को छूता मंद‌िर का ध्वज श्री कृष्‍ण की व‌िशालता को दर्शाता है।

ज्योत‌िसर तीर्थ

कुरुक्षेत्र में जहां श्री कृष्‍ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश द‌िया था। आज वह स्‍थान ज्योत‌िसर और गीता उपदेश स्‍थल के नाम से जाना जाता है। यहीं पर पीपल के वृक्ष के नीचे श्री कृष्‍ण ने अमर गीता का ज्ञान द‌िया था। यहां आज भी वह पीपल का वह पेड़ मौजूद है। जिसके नीचे श्रीकृष्ण ने अर्जुन को गीता का उपदेश दिया था।


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