Mahabharata: महाभारत युद्ध में हुआ था इन शक्तिशाली अस्त्र-शस्त्रों का इस्तेमाल, जानें इनकी खासियत
कौरवों और पांडवों के बीच हुआ महाभारत (Mahabharat) का युद्ध असल में धर्म और अधर्म का युद्ध था। अंत में इस युद्ध में पांडवों की जीत हुई जिसकी असल वजह भगवान कृष्ण थे। हालांकि उन्होंने प्रत्यक्ष रूप से पर युद्ध में भाग नहीं लिया था लेकिन अर्जुन का सारथी बनकर भी उन्होंने इस युद्ध में अहम भूमिका निभाई थी।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाभारत ग्रंथ में कई महान योद्धाओं का वर्णन मिलता है। इन योद्धाओं की तरह ही इनके अस्त्र-शस्त्र भी काफी दिव्य थे। आज हम आपको महाभारत (Powerful Weapons of Mahabharat) के युद्ध में इस्तेमाल हुए कुछ ऐसे ही दिव्य अस्त्र-शस्त्रों का बारे में बताने जा रहे हैं, जिनका इस्तेमाल इन योद्धाओं द्वारा किया गया था।
अर्जुन का धनुष
महाभारत युद्ध के महान धर्नुधारी योद्धा अर्जुन के धनुष का नाम गांडीव था। उसकी एक टंकार ही युद्ध भूमि में खलबली मचाने के लिए काफी थी। इस धनुष की खासियत यह थी कि इसे अर्जुन के अलावा कोई भी नहीं उठा सकता था। इसी के साथ अर्जुन के तरकश के तीर भी कभी खत्म नहीं होते थे।
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अश्वत्थामा ने किया था इस्तेमाल
महाभारत के युद्ध में नारायणास्त्र का इस्तेमाल अश्वत्थामा द्वारा किया गया था, जिसके द्वारा उसने पांडवों के हजारों सैनिक एक बार में समाप्त कर दिए थे। यह एक ऐसा अस्त्र था, जो एक साथ लाखों घातक वारों की बौछार कर देता था। इस अस्त्र की तीव्रता लक्ष्य के प्रतिरोध के अनुसार बढ़ती जाती है। इस अस्त्र को रोकने का एकमात्र तरीका यही था कि इसके सामने समर्पण कर दिया जाए।
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अमोघ था यह अस्त्र
वसावी शक्ति नामक शक्तिशाली अस्त्र इंद्र देव का से संबंधित है। कर्ण को इंद्रदेव द्वारा यह अस्त्र प्रदान किया गया था। यह अस्त्र अमोघ था, अर्थात यह कभी विफल नहीं होता। इसे केवल एक बार प्रयोग किया जा सकता था और इसके बाद यह इंद्रदेव के पास वापस आ जाता था। कर्ण ने भीम के पुत्र घटोत्कच को मारने के लिए इस अस्त्र का प्रयोग किया था।
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अत्यंत शक्तिशाली था ब्रह्मास्त्र
ब्रह्मास्त्र एक अत्यंत शक्तिशाली अस्त्र था, जिसकी उत्पत्ति ब्रह्मा जी द्वारा की गई थी। महाभारत के कुछ ही योद्धा इसे चलाने का ज्ञान रखते थे। ब्रह्मास्त्र को मंत्र की शक्ति द्वारा ही चलाया जा सकता था और इसे नियंत्रित भी केवल दिव्य ज्ञान द्वारा ही किया जा सकता था।
महाभारत युद्ध के अंत में अश्वत्थामा ने इस अस्त्र का प्रयोग था। इस अस्त्र की खासियत है कि यह भौतिक और अलौकिक, दोनों तरह की बाधाओं को नष्ट कर सकता है। शास्त्रों में बताया गया है कि ब्रह्मास्त्र ही ब्रह्मास्त्र का सामना कर सकता है।
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