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    जयद्रथ का वध करने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने चली थी ये चाल, इस तरह पूरी हुई अर्जुन की प्रतिज्ञा

    Updated: Fri, 16 May 2025 02:49 PM (IST)

    महाभारत ग्रंथ में वर्णन मिलता है कि महाभारत का युद्ध कुल 18 दिनों तक चला था। युद्ध का एक नियम यह भी था कि सूर्यास्त के बाद युद्ध की समाप्ति हो जाने के बाद दोनों दल एक-दूसरे से छल-कपट नहीं कर सकते थे। इसी नियम को ढाल बनाते हुए कौरव सेना के जयद्रथ का वध किया गया था। चलिए जानते हैं यह कथा।

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    Jayadrath Vadh story भगवान श्रीकृष्ण ने चली ये चाल।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। कौरवों और पांडवों के बीच हुआ युद्ध धर्म और अधर्म का युद्ध था। आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि युद्ध के 14वें दिन युद्ध के किस नियम का उल्लंघन किया गया, जिसका सबसे बड़ा उदाहरण अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु की हत्या थी। ऐसे में चलिए जानते हैं कि अपने पुत्र की मृत्यु का बदला लेने के लिए अर्नुज ने क्या प्रतिज्ञा ली थी।

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    अर्जुन ने ली थी ये प्रतिज्ञा

    13वें दिन सभी नियमों को तोड़ते हुए द्रोण, अश्वत्थामा, बृहद्बल, कृतवर्मा आदि छह महारथियों ने अभिमन्यु को चारों ओर से घेर कर उसकी हत्या कर दी थी। अगले दिन यानी युद्ध के 14वें दिन अर्जुन ने अपने पुत्र की मृत्यु का बदला जयद्रथ से लेने की प्रतिज्ञा ली। क्योंकि अभिमन्यु को चक्रव्यूह में फंसाने में जयद्रथ अहम भूमिका निभाई थी। इसलिए अर्जुन ने यह शपथ ली थी कि वह सूर्योदय से पहले जयद्रथ का वध करेगा, अन्यथा अग्नि समाधि ले लोगा।

    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    श्रीकृष्ण ने चली चाल

    अर्जुन द्वारा ली गई प्रतिज्ञा का पता लगते ही कौरवों की पूरी सेना जयद्रथ की सुरक्षा में लग गई और उसे छिपा दिया। जब भगवान श्रीकृष्ण ने देखा कि सूर्य अस्त होने वाला है, ऐसे में अगर अर्जुन की प्रतिज्ञा पूरी नहीं हुई तो वह समाधि ले लेगा। तब उन्होंने अपनी माया से सूर्य ग्रहण कर दिया।

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    (Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    इस तरह हुआ जयद्रथ का वध

    इससे जयद्रथ को लगा कि अब सूर्यास्त हो चुका है और वह असावधान हो गया और स्वयं अर्जुन के सामने आ गया। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा कि तुरंत जयद्रथ का वध कर दो। तभी मौका पाकर अर्जुन ने जयद्रथ का वध कर दिया। जिससे उसकी प्रतिज्ञा पूरी हुई।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।