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    Mahabharat Katha: आखिर क्यों श्रीकृष्ण ने इरावन से किया था विवाह, महाभारत में है इसका वर्णन

    Updated: Mon, 09 Dec 2024 03:31 PM (IST)

    सनातन धर्म में ऐसे कई धार्मिक ग्रंथ हैं जिनका विशेष महत्व है। इन ग्रंथ में महाभारत भी शामिल है। इसके द्वारा इंसान को कई सीख मिलती है जिसके द्वारा सफलता के मार्ग खुलते हैं। महाभारत में भगवान श्रीकृष्ण की कई लीलाएं देखने को मिलती हैं। क्या आप जानते हैं किस कारण कृष्ण जी (Krishna Marriage) ने किन्नर से विवाह किया था? इस सवाल का जवाब आपको इस आर्टिकल में मिलेगा।

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    इसलिए किया था श्रीकृष्ण ने किन्नर से विवाह

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म से जुड़े लोग अपने जीवन को सफल बनाने के लिए जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण की पूजा-अर्चना करते हैं और माखन-मिश्री समेत विशेष चीजों का भोग अर्पित करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि ऐसा करने से जातक को श्रीकृष्ण का आशीर्वाद प्राप्त होता है और सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है। भगवान श्रीकृष्ण कई महत्वपूर्ण लीलाओं का उल्लेख महाभारत में किया गया है। इनमें से एक ऐसी लीला है, जो अर्जुन के किन्नर पुत्र और भगवान श्रीकृष्ण (Lord Krishna) से संबंधित है। महाभारत के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन के पुत्र किन्नर इरावन से विवाह किया था। क्या आप जानते हैं कि भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन पुत्र इरावन से विवाह (Kinnar Marriage) क्यों किया था? अगर नहीं पता, तो ऐसे में आइए इसकी वजह आपको इस आर्टिकल में विस्तार से बताएंगे।

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    पौराणिक कथा के अनुसार, इरावन के पिता का नाम अर्जुन और माता का नाम उलूपी था। इरावन को मायावी अस्त्रों का ज्ञान था। महाभारत के युद्ध के दौरान इरावन ने शकुनि के 6 भाइयों का अंत किया था। इसके अलावा भी कई लोगों का हार का मुंह दिखाया था। इरावन स्वयं को देवी चामुण्डा को बलि पांडवों की युद्ध में विजय के लिए देना देना चाहता था, लेकिन इस बात से पांडव सहमत नहीं थे। इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण (Krishna Wedding) ने इस विषय के बारे में बताया कि इरावन का बलिदान खराब नहीं जाएगा।

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    पांडवों के बीच बनी सहमति

    इसके पश्चात के इरावन की बलि को लेकर पांडवों के बीच सहमति बनी। इसके बाद इरावन सभी के सामने अपनी एक इच्छा जाहिर की। इरावन ने कहा कि वह अविवाहित नहीं मरना चाहता है। वह मरने से पहले से किसी से विवाह करना चाहता था।

    श्रीकृष्ण ने निकाला समस्या का समाधान

    इस बात को सुनकर पांडव परेशान हो गए की कि आखिर कौन अपनी कन्या का विवाह ऐसे इंसान के साथ करेगा, जो बाद में खुद की बलि देना चाहते है। इस समस्या का समाधान श्रीकृष्ण ने निकाला। भगवान श्रीकृष्ण ने मोहिनी का रूप धारण कर इरावन से विवाह किया।  

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।