Mahabharata Story: महाभारत के इस योद्धा का दो माताओं के गर्भ से हुआ जन्म, छल से हुई थी मृत्यु
हिंदू धर्म के वेद-पुराण और ग्रंथ ज्ञान से भरे हुए हैं इन्हीं में से एक महाभारत ग्रंथ भी है। इस ग्रंथ में ऐसी कई घटनाओं का जिक्र किया गया है जो किसी भी व्यक्ति को अचरज में डाल सकती हैं। आज हम आपको महाभारत के एक ऐसे पात्र के बारे में बताने जा रहे हैं जिसके जन्म की कथा हैरान कर देने वाली है।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। महाभारत ग्रंथ (Mahabharata Katha) के रचयिता वेदव्यास हैं, जो खुद भी इसके पात्र रहे हैं। इस ग्रंथ में कौरवों और पांडवों के बीच हुए युद्ध का वर्णन मिलता है, जिसे महाभारत का नाम दिया गया। आज हम आपको महाभारत में वर्णित एक कथा बताने जा रहे हैं, जिसके अनुसार एक बालक का जन्म एक नहीं बल्कि दो माताओ के गर्भ से हुआ। चलिए जानते हैं यह अद्भुत कथा।
राजा ने नहीं थी कोई संतान
आज हम बात कर रहे हैं जरासंध की, जिसका वर्णन महाभारत ग्रंथ में मिलता है। इसके जन्म की कथा बहुत ही रोचक है, जिसके अनुसार, मगध के राजा बृहद्रथ की दो पत्नियां थी। लेकिन राजा के कोई संतान नहीं थी, जिस कारण वह काफी परेशान रहते थे।
तब वह ऋषि चंडकौशिक के आश्रम जाते हैं और उन्हें अपनी समस्या बताते हैं। तब ऋषि ने उन्हें एक फल देते हुए कहा कि आपको जो रानी सबसे अधिक प्रिय हो, उसे यह फल खिला दें, इससे आपको संतान की प्राप्ति होगी।
(Picture Credit: Canva)
इस तरह हुआ जन्म
लेकिन राजा को अपनी दोनों रानियों से प्रेम था, इसलिए उन्होंने सेब के दो टुकड़े किए और दोनों रानियों को एक-एक टुकड़ा दे दिया। सेब खाने के बाद दोनों रानी गर्भवती हो गईं और कुछ समय बाद जब उन्होंने बच्चे को जन्म दिया तो वह हैरान रह गईं। दोनों के गर्भ से बच्चे के आधे-आधे हिस्से का जन्म हुआ था। यह देखकर दोनों रानियां बहुत ही खबरा जाती हैं और बच्चे को जंगल में फिंकवा देती हैं।
यह भी पढ़ें - Biraja Temple: इकलौता शक्तिपीठ जहां होता है पिंडदान, दर्शन मात्र से मिलता है सात पीढ़ियों को मोक्ष
ऐसे पड़ा नाम
इस दौरान उस जंगल से एक जरा नाम की राक्षसी गुजर रही थी कि उसकी नजर बालक के टुकड़ों पर पड़ी और उसने अपनी माया से बालक के दोनों टुकड़ों को आपस में जोड़ दिया। जरा नाम की राक्षसी द्वारा बच्चे के दो हिस्सों को जोड़ने के कारण इस बालक का नाम जरासंध रखा गया।
कैसे हुई जरासंध की हार
आगे चलकर जरासंध और भीम के बीच मल्ल युद्ध भी हुआ था, जो काफी लंबे समय तक चलता रहा। लेकिन जरासंध को हरा पाना बहुत मुश्किल था, क्योंकि भीम ने जितनी बार भी उसके शरीर के टुकड़े किए, उतनी बार ही वह वापस जुड़ जाता और जीवित हो जाता।
तब भगवान कृष्ण भीम को इशारा करते हुए एक तिनके को बीच से तोड़कर दो विपरीत दिशाओं में फेंक देते हैं। भीम उनका यह इशारा समझ जाता है और इसी तरह जरासंध के दो हिस्से करके उन्हें वितरीत दिशाओं में फेंक देता है। इस तरह जरासंध का अंत हुआ।
यह भी पढ़ें - Pashupatinath Avatar: इसलिए भगवान शिव को लेना पड़ा था पशुपतिनाथ अवतार? वजह कर देगी हैरान
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।