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    Biraja Temple: इकलौता शक्तिपीठ जहां होता है पिंडदान, दर्शन मात्र से मिलता है सात पीढ़ियों को मोक्ष

    Updated: Sat, 05 Apr 2025 05:00 PM (IST)

    सनातन धर्म में चैत्र नवरात्र का पर्व मां दुर्गा के 09 रूपों समर्पित है। मां दुर्गा के दर्शनों के लिए भक्त में मंदिरों में पहुंचते हैं। वहीं चैत्र नवरात्र में ओडिशा के बिरजा मंदिर (Biraja Temple) में देवी का 15 साड़ियों और सोने से भव्य शृंगार हो रहा है। ऐसे में आइए जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी महत्वपूर्ण बातों के जानकारी के बारे में।

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    51 शक्तिपीठों में शामिल है बिरजा मंदिर

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। चैत्र नवरात्र की अवधि को मां दुर्गा के 09 रूपों की पूजा-अर्चना करने के लिए शुभ माना जाता है। चैत्र नवरात्र की शुरुआत चैत्र माह की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से तिथि से होती है और नवमी तिथि पर कन्या पूजन के साथ चैत्र नवरात्र खत्म होते हैं। इस दौरान भक्त मां दुर्गा की पूजा और दर्शन करने के लिए मंदिरों में पहुंचते हैं। इस दौरान मंदिरों में बेहद खास रौनक देखने को मिलती है। वहीं, ओडिशा में एक ऐसा मंदिर है, जहां पिंडदान किया जाता है और चैत्र नवरात्र में रोजाना मां बिरजा का 15 साड़ियों और सोने से भव्य शृंगार किया जाता है। इस मंदिर का नाम बिरजा मंदिर (Biraja Temple Odisha) है।

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    कहां स्थित है मंदिर?

    ओडिशा के जाजपुर में बिरजा मंदिर स्थित है। यह तीर्थ यात्रियों के लिए एक प्रमुख स्थान माना जाता है। इस मंदिर में मां बिरजा की पूजा-अर्चना होती है। मंदिर में मां बिरजा के दर्शन करने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। चैत्र नवरात्र के दौरान मां बिरजा  का विशेष शृंगार किया जाता है। इस मंदिर का वर्णन स्कंद पुराण में देखने को मिलता है। यह मंदिर माता सती के 51 शक्तिपीठों में शामिल है।

    कब और किसने बनवाया मंदिर

    इस मंदिर को गुप्त काल के दौरान बिरजा मंदिर (Biraja Temple History) को बनाया गया था। वर्ष 1568 में अफगान विजय के समय बिरजा मंदिर नष्ट हो गया था। इसके बाद 19वीं शताब्दी में सुदर्शन महापात्र ने मंदिर की मरम्मत की।

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    क्या है मंदिर की विशेषता

    आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जहां माता सती की नाभि गिरी थी। उसी जगह पर बिरजा मंदिर को बनाया गया। यहां पर एक गहरा कुआं भी है, जिसे धरती की नाभि के नाम से जाता है। इस कुएं के पानी से लोग अपने पितरों का पिंडदान करते हैं। आपको एक खास बात दें कि यह एक ऐसा शक्तिपीठ है, जहां पितरों का पिंडदान किया जाता है। चैत्र नवरात्र के दौरान मंदिर में अधिक संख्या में भक्त आते हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, मां पार्वती ने महादेव को पाने के लिए यहां पर तपस्या की थी। इसलिए इस मंदिर में 800 साल से स्थापित 108 शिवलिंग भी स्थापित है।

     

    मां बिरजा का महत्व

    मां बिरजा की मूर्ति पर मस्तक में महादेव, चंद्रमा, नागराज और भगवान गणेश की आकृतियां बनी हुई हैं। मां बिरजा के स्वरूप को महिषासुर मर्दिनी के रूप में पूजा-अर्चना होती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर में मां बिरजा के दर्शन करने से सात पीढ़ियों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।  

    चैत्र नवरात्र में होता है विशेष श्रृंगार

    चैत्र नवरात्र में मां बिरजा का श्रृंगार 15 साड़ियां और सोने के आभूषणों के द्वारा किया जाता है और शारदीय नवरात्र में रोजाना मां बिरजा को 30 साड़ियां पहनाई जाती हैं और  दोपहर में मां बिरजा को साग की सब्जी, रबड़ी और रात में आलू का भरता एवं दूध का भोग लगाया जाता है।

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    Source

    Biraja Temple-

    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।