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    Chaitra Navratri 2025: बहुत दिव्य है मां काली को समर्पित यह शक्तिपीठ, नवरात्र में लगती है लंबी कतार

    देशभर में आदिशक्ति को समर्पित 51 शक्तिपीठ (51 Shakti Peeth) स्थापित हैं जो मुख्य रूप में आदिशक्ति मां सती को समर्पित माने जाते हैं। आज हम आपको पश्चिम बंगाल के कोलकाता में स्थापित एक अद्भुत शक्तिपीठ के बारे में बताने जा रहे हैं जिसमें नवरात्रि की अवधि में भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। चलिए जानते हैं इस शक्तिपीठ से जुड़ी कुछ मान्यताएं।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Fri, 04 Apr 2025 05:00 PM (IST)
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    Kalighat Kali Temple in Kolkata (Kali Mata Picture Credit: Freepik) (AI Image)

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। पौराणिक कथा के अनुसार, जब मां सती ने जब यज्ञ की अग्नि में कूदकर आत्मदाह कर लिया था, तो भगवान शिव उनके शरीर को उठाकर पूरे विश्व में घूमने लगे। तब शिव जी को शांत करने के लिए भगवान विष्णु के अपने सुदर्शन चक्र से शरीर के कई टुकड़े कर दिए, जिस कारण सती जी के अंग कई स्थानों पर गिर गए। ये अंग जहां-जहां गिरे आज वहां 51 शक्तिपीठ स्थापित हैं। कुछ मान्यताओं के अनुसार इन शक्तिपीठों की संख्या 52 भी बताई जाती है।  

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    कहां स्थित है मंदिर

    कालीघाट काली मंदिर, कोलकाता में आदिगंगा नहर के किनारे स्थित है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस स्थान पर सती जी के दाहिने पैर का अंगूठा गिरा था, जिस कारण यह 51 शक्तिपीठों में से एक है। इस मंदिर का निर्माण सन् 1809 में सबर्ण रॉय चौधरी परिवार द्वारा करवाया गया था। 

    मंदिर की खासियत

    कालीघाट काली मंदिर मुख्य रूप से देवी काली को समर्पित है, जो 10 महाविद्याओं में से एक हैं। इस मंदिर में जो देवी मां की मूर्ति स्थापित है वह अपने आप में अनूठी और अलग है। देवी काली की प्रचण्ड रूप की प्रतिमा में वह भगवान शिव की छाती पर पैर रखे नजर आती हैं। इस प्रतिमा में मां काली की जीभ सोने से बनी हुई है।

    इसी के साथ यह प्राचीन मंदिर अपनी अनूठी वास्तुकला के लिए भी जाना जाता है। कालीघाट काली मंदिर में एक म्यूजियम भी है जिसमें देवी काली के इतिहास और पौराणिक कथाओं से संबंधित विभिन्न कलाकृतियां रखी हुई हैं।

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    नवरात्र में होती है भारी भीड़

    नवरात्र के दौरान कालीघाट मंदिर को रोशनी और फूलों से सजाया जाता है, जिसकी भव्यता देखते ही बनती हैं। यह माना जाता है कि दर्शन मात्र से श्रद्धालु की मन्नतें पूरी हो जाती हैं और भक्तों के बिगड़े काम भी बन जाते हैं। नवरात्र के साथ-साथ दुर्गा पूजा के दौरान षष्ठी से दशमी तक मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ती है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।