Mithun Sankranti 2025: इंद्र और शिववास योग में मनाई जाएगी मिथुन संक्रांति, हर परेशानी होगी दूर
रविवार का दिन सूर्य देव को प्रिय है। इस दिन सूर्य देव की पूजा एवं भक्ति की जाती है। ज्योतिष करियर संबंधी परेशानी दूर करने के लिए सूर्य देव की पूजा करन ...और पढ़ें

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वैदिक पंचांग के अनुसार, रविवार 15 जून को मिथुन संक्रांति है। यह पर्व हर महीने सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर मनाया जाता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा की जाती है। साथ ही दान-पुण्य किया जाता है। सूर्य देव की पूजा करने से साधक को आरोग्यता का वरदान मिलता है। साथ ही सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिलती है।
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ज्योतिषियों की मानें तो मिथुन संक्रांति के दिन इंद्र और शिववास योग समेत कई मंगलकारी योग बन रहे हैं। इन योग में आत्मा के कारक सूर्य देव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही सभी दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। आइए, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
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मिथुन संक्रांति कब है?
ज्योतिषियों की मानें तो आत्मा के कारक सूर्य देव आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को राशि परिवर्तन करेंगे। इस दिन सूर्य देव वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेंगे। इस शुभ अवसर पर मिथुन संक्रांति मनाई जाएगी। सनातन धर्म में संक्रांति तिथि पर पूजा, जप-तप एवं दान-पुण्य किया जाता है।
मिथुन संक्रांति शुभ मुहूर्त (Mithun Sankranti Shubh Muhurat)
15 जून को दोपहर 03 बजकर 51 मिनट तक आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि है। इसके बाद पंचमी तिथि शुरू होगी। आसान शब्दों में कहें तो आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर मिथुन संक्रांति मनाई जाएगी। साधक पंचमी तिथि पर भी दान-पुण्य कर सकते हैं।
स्नान-दान का समय
मिथुन संक्रांति के दिन पुण्य काल सुबह 06 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 29 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 06 बजकर 53 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 12 मिनट तक है। मिथुन संक्रांति के दिन पुण्य क्षण सुबह 06 बजकर 53 मिनट तक है।
इंद्र योग
मिथुन संक्रांति के शुभ अवसर पर मंगलकारी इंद्र योग का संयोग बन रहा है। इंद्र योग का समापन दोपहर 12 बजकर 20 पर होगा। इस दौरान पूजा, जप-तप करने से साधक को आरोग्य जीवन का सुख मिलेगा। ज्योतिष इंद्र योग को शुभ मानते हैं। मत है कि इंद्र योग में सूर्य देव की पूजा करने से करियर संबंधी परेशानी दूर होगी।
शिववास योग
ज्योतिषियों की मानें तो मिथुन संक्रांति के शुभ अवसर पर शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान शिव दोपहर 03 बजकर 51 मिनट तक कैलाश पर विराजमान रहेंगे। इसके बाद नंदी की सवारी करेंगे।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 20 मिनट पर
- चन्द्रोदय- रात 10 बजकर 46 मिनट पर
- चंद्रास्त- सुबह 08 बजकर 46 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 03 मिनट से 04 बजकर 43 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से 03 बजकर 37 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 19 मिनट से 07 बजकर 39 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक
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