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    Mithun Sankranti 2025: इस दिन मनाई जाएगी मिथुन संक्रांति, यहां जानें महत्व और मुहूर्त

    By Pravin KumarEdited By: Pravin Kumar
    Updated: Sun, 08 Jun 2025 01:07 PM (IST)

    संक्रांति तिथि (Mithun Sankranti 2025) पर बड़ी संख्या में साधक गंगा समेत पवित्र नदियों में श्रद्धालु स्नान-ध्यान कर सूर्य देव की पूजा करते हैं। इसके बाद सूर्य देव की पूजा-उपासना करते हैं। ज्योतिषियों की मानें तो आत्मा के कारक सूर्य देव की पूजा करने से करियर संबंधी परेशानी दूर होती है।

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    Mithun Sankranti 2025: मिथुन संक्रांति का धार्मिक महत्व

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में संक्रांति तिथि का खास महत्व है। यह पर्व पूर्णतया आत्मा के कारक सूर्य देव को समर्पित होता है। इस दिन सूर्य देव की पूजा एवं साधना की जाती है। साथ ही दान-पुण्य किया जाता है। संक्रांति तिथि सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर मनाया जाता है।

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    धार्मिक मत है कि संक्रांति तिथि पर सूर्य देव की पूजा करने से आरोग्य जीवन का वरदान मिलता है। साथ ही शारीरिक एवं मानसिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। इस शुभ तिथि पर दान करने से साधक को अक्षय फल की प्राप्ति होती है। आइए, मिथुन संक्रांति की सही डेट, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-

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    मिथुन संक्रांति कब मनाई जाएगी?

    ज्योतिषियों की मानें तो आत्मा के कारक सूर्य देव आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी 15 जून को सुबह 06 बजकर 52 मिनट पर राशि परिवर्तन करेंगे। इस दिन सूर्य देव वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेंगे। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 15 जून को मिथुन संक्रांति मनाई जाएगी।

    मिथुन संक्रांति शुभ मुहूर्त (Mithun Sankranti Shubh Muhurat)

    आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि यानी 15 जून के दिन पुण्य काल सुबह 06 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 29 मिनट तक है और महा पुण्य काल सुबह 06 बजकर 53 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 12 मिनट तक है। इस शुभ अवसर पर पुण्य क्षण सुबह 06 बजकर 53 मिनट तक है। इस समय में साधक स्नान-ध्यान कर पूजा-पाठ कर दान-पुण्य कर सकते हैं।

    मिथुन संक्रांति शुभ मुहूर्त (Mithun Sankranti Shubh Yog)

    ज्योतिषियों की मानें तो मिथुन संक्रांति के दिन कई मंगलकारी संयोग बन रहे हैं। इस शुभ अवसर पर मंगलकारी इंद्र और शिववास योग का संयोग बन रहा है। इंद्र योग का समापन दोपहर 12 बजकर 20 तक है। इस दौरान पूजा, जप-तप करने से साधक को आरोग्य जीवन का सुख मिलता है। इसके साथ ही शिववास योग का भी निर्माण हो रहा है। शिववास योग दिन भर है।

    पंचांग

    • सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर
    • सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 20 मिनट पर
    • चन्द्रोदय- रात 10 बजकर 46 मिनट पर
    • चंद्रास्त- सुबह 08 बजकर 46 मिनट पर
    • ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 03 मिनट से 04 बजकर 43 मिनट तक
    • विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से 03 बजकर 37 मिनट तक
    • गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 19 मिनट से 07 बजकर 39 मिनट तक
    • निशिता मुहूर्त - रात 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक

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    यह भी पढ़ें: अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।