Mithun Sankranti 2025: जून महीने में कब है मिथुन संक्रांति? एक क्लिक में जानें शुभ मुहूर्त और योग
ज्योतिषियों की मानें तो मेष राशि (Mithun Sankranti 2025 Date) के जातकों पर सूर्य देव की विशेष कृपा बरसती है। इस राशि के जातक अपने क्षेत्र में उत्तम करते हैं। सूर्य देव की कृपा से करियर में मनमुताबिक सफलता मिलती है। इस शुभ तिथि पर दान-पुण्य करने से अक्षय फल की प्राप्ति होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित होता है। इस दिन आत्मा के कारक सूर्य देव की पूजा की जाती है। सूर्य देव की पूजा करने से मानसिक एवं शारीरिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। साथ ही आरोग्यता का वरदान जातक को मिलता है। रविवार के दिन दान-पुण्य भी किया जाता है।
.jpg)
ज्योतिष करियर संबंधी परेशानी को दूर करने के लिए सूर्य देव की पूजा और दान-पुण्य करने की सलाह देते हैं। सनातन धर्म में संक्रांति तिथि पर सूर्य देव की विशेष पूजा की जाती है। लेकिन क्या आपको पता है कि जून महीने में कब मिथुन संक्रांति मनाई जाएगी? आइए, मिथुन संक्रांति की सही डेट, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
यह भी पढ़ें: कृष्णपिङ्गल संकष्टी चतुर्थी कब है? यहां पता करें शुभ मुहूर्त और योग
सूर्य राशि परिवर्तन (Surya Gochar 2025)
वर्तमान समय में सूर्य देव वृषभ राशि में विराजमान हैं। इस राशि में सूर्य देव 14 जून तक रहेंगे। इसके अगले दिन सूर्य देव वृषभ राशि से निकलकर मिथुन राशि में गोचर करेंगे। सूर्य देव 15 जून को सुबह 06 बजकर 44 मिनट पर मिथुन राशि में गोचर करेंगे। इस राशि में सूर्य देव एक महीने तक रहेंगे। इसके बाद सूर्य देव मिथुन राशि से निकलकर कर्क राशि में गोचर करेंगे।
मिथुन संक्रांति शुभ मुहूर्त (Mithun Sankranti Shubh Muhurat)
सूर्य देव 15 जून को मिथुन संक्रांति मनाई जाएगी। आत्मा के कारक सूर्य देव के राशि परिवर्तन करने की तिथि पर संक्रांति मनाई जाती है। इस दिन पुण्य काल सुबह 06 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 02 बजकर 29 मिनट तक है। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 09 बजकर 12 मिनट तक है।
मिथुन संक्रांति शुभ योग (Mithun Sankranti Shubh Yog)
मिथुन संक्रांति पर इंद्र योग का संयोग दोपहर 12 बजकर 20 मिनट तक है। शिववास योग दिन भर है। दोपहर 03 बजकर 51 मिनट तक भगवान शिव कैलाश पर रहेंगे। इसके बाद भगवान शिव नंदी की सवारी करेंगे। साथ ही अभिजीत मुहूर्त का भी संयोग है। इन योग में सूर्य देव की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 23 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 07 बजकर 20 मिनट पर
- चन्द्रोदय- रात 10 बजकर 46 मिनट पर
- चंद्रास्त- सुबह 08 बजकर 46 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 03 मिनट से 04 बजकर 43 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से 03 बजकर 37 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 07 बजकर 19 मिनट से 07 बजकर 39 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात 12 बजकर 02 मिनट से 12 बजकर 42 मिनट तक
यह भी पढ़ें: कन्या राशि के जातकों पर कब से शुरू होगी शनि की ढैय्या? इन उपायों से पाएं निजात
यह भी पढ़ें: अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।

कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।