Mithun Sankranti 2025: मिथुन संक्रांति पर इस समय करें स्नान और दान, पुण्य फल की होगी प्राप्ति
मिथुन संक्रांति (Mithun Sankranti 2025) का दिन बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है जो इस साल 15 जून को मनाई जाएगी। इस दिन स्नान और दान का विशेष महत्व है। इस दिन इंद्र और शिववास योग बन रहे हैं। कहा जाता है कि इस दिन दान करने से सूर्य देव खुश होते हैं तो आइए शुभ मुहूर्त जानते हैं।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में संक्रांति का खास महत्व है, और इस दिन स्नान-दान का अपना अलग महत्व है। कहते हैं कि जब सूर्यदेव एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं, तो उसे संक्रांति कहा जाता है। इस साल मिथुन संक्रांति दिन रविवार, 15 जून को मनाई जाएगी।
वहीं, इस दिन (Mithun Sankranti 2025) स्नान और दान किस समय किया जाएगा? आइए इस आर्टिकल में जानते हैं।
स्नान-दान शुभ मुहूर्त (Mithun Sankranti Snan Aur Daan Muhurat)
हिंदू पंचांग के अनुसार, मिथुन संक्रांति पर मंगलकारी इंद्र और शिववास योग का निर्माण हो रहा है। इंद्र योग दोपहर 12 बजकर 20 तक रहेगा। साथ ही शिववास योग दिन भर रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 04 बजकर 03 मिनट से 04 बजकर 43 मिनट तक रहेगा। विजय मुहूर्त दोपहर 02 बजकर 41 मिनट से 03 बजकर 37 मिनट तक रहेगा। पुण्य काल सुबह 06 बजकर 53 मिनट से दोपहर 02 बजकर 29 मिनट तक रहेगा। वहीं, महा पुण्य काल सुबह 06 बजकर 53 मिनट से सुबह 09 बजकर 12 मिनट तक रहेगा।
सर्वार्थ सिद्धि योग पूरे दिन रहेगा। रवि योग सुबह 05 बजकर 36 मिनट से 08 बजे तक रहेगा। अमृत सिद्धि योग रात 08 बजे से सुबह 05 बजकर 36 मिनट रहेगा। इस दौरान आप स्नान-दान कर सकते हैं।
दान का धार्मिक महत्व (Daan Significance)
मिथुन संक्रांति को 'दान संक्रांति' भी कहा जाता है। इस दिन दान-पुण्य करने से अक्षय फलों की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि सूर्य के राशि परिवर्तन के इस समय में दान करने से ग्रहों के दोष कम होते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है, तो आइए जानते हैं कि इस दिन क्या दान करना चाहिए?
क्या दान करें? (Kya Daan Karen?)
- वस्त्र - गरीबों और जरूरतमंदों को कपड़ों का दान करें।
- अन्न - इस दिन अनाज, गेहूं और गुड़ का दान करना भी शुभ माना जाता है।
- जल - गर्मी के मौसम में जल से भरे घड़े का दान करना पुण्यदायी माना जाता है।
- चप्पल और छाता - इनका दान करने से सूर्य ग्रह से जुड़े दोष दूर होते हैं।
- तिल - काले तिल का दान करने से शनि दोष और राहु-केतु के अशुभ प्रभावों से मुक्ति मिलती है।
यह भी पढ़ें: Ganga Aarti: क्यों वाराणसी में सिर्फ दशाश्वमेध और अस्सी घाट पर ही होती है गंगा आरती?
अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।
कमेंट्स
सभी कमेंट्स (0)
बातचीत में शामिल हों
कृपया धैर्य रखें।