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    Ganga Aarti: क्यों वाराणसी में सिर्फ दशाश्वमेध और अस्सी घाट पर ही होती है गंगा आरती?

    Updated: Tue, 10 Jun 2025 12:37 PM (IST)

    वाराणसी जिसे काशी भी कहते हैं की गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध है। यहां मुख्य रूप से दशाश्वमेध घाट और अस्सी घाट पर भव्य गंगा आरती (Ganga Aarti) का आयोजन होता है। दशाश्वमेध घाट पर आरती की शुरुआत 1991 में हुई। अस्सी घाट जहां अस्सी नदी गंगा से मिलती है को अस्सी सैंबेड तीर्थ कहा जाता है जहां स्नान करने से सभी तीर्थस्थलों के बराबर पुण्य मिलता है।

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    Ganga Aarti: गंगा आरती होने के पीछे धार्मिक मान्यताएं।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। वाराणसी, जिसे काशी के नाम से भी जाना जाता है। यहां की गंगा आरती विश्व प्रसिद्ध है, जो एक ऐसा भव्य और अलौकिक अनुभव है, जिसे आसानी से भूलाया नहीं जा सकता है। यह हर साल लाखों श्रद्धालुओं और पर्यटकों को आकर्षित करता है। हालांकि, वाराणसी में लगभग 84 घाट हैं, फिर भी सबसे प्रसिद्ध और भव्य गंगा आरती केवल दशाश्वमेध (Dashashwamedh Ghat Aarti) और अस्सी घाट (Assi Ghat Ganga Aarti) पर ही आयोजित की जाती है, जिसके पीछे कई वजह है, तो आइए इसके बारे में जानते हैं।

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    गंगा आरती होने के पीछे धार्मिक मान्यताएं

    दशाश्वमेध घाट

    दशाश्वमेध घाट वाराणसी (Varanasi Ghats Rituals) के सबसे प्राचीन और महत्वपूर्ण घाटों में से एक है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, भगवान ब्रह्मा ने यहां दस अश्वमेध यज्ञ किए थे, जिससे इस घाट को अत्यधिक धार्मिक महत्व प्राप्त हुआ। इसी वजह से यह घाट लंबे समय से अनुष्ठानों और धार्मिक आयोजनों का केंद्र रहा है।

    1991 में पंडित सत्येंद्र मिश्र मुंडन महाराज के नेतृत्व में दशाश्वमेध घाट पर गंगा आरती की शुरुआत की गई थी, जिसे बाद यहा रोजाना शुरू हो गई। यह आरती हरिद्वार में होने वाली आरती से प्रेरित थी, लेकिन लोगों के बीच इसके प्रति गहरी आस्था उत्पन्न हो गई।

    अस्सी घाट

    वहीं, बात आती है अस्सी घाट की जो बहुत ही प्राचीन है। यह वह स्थान है जहां अस्सी नदी गंगा से मिलती है। पुराणों में अस्सी घाट को 'अस्सी सैंबेड तीर्थ' के रूप में बताया गया है, और ऐसी मान्यता है कि यहां पवित्र डुबकी लगाने से अन्य सभी तीर्थस्थलों में स्नान करने के बराबर पुण्य मिलता है। अस्सी घाट पर सुबह की आरती, जिसे 'सुबह-ए-बनारस' के नाम से जाना जाता है, अपनी शांति और आध्यात्मिक ऊर्जा के लिए प्रसिद्ध है।

    आरती होने के पीछे अन्य वजह

    • दशाश्वमेध और अस्सी घाट दोनों ही अपेक्षाकृत चौड़े और खुले हैं, जिससे बड़ी संख्या में लोगों को आरती देखने और उसमें शामिल होने के लिए पर्याप्त जगह मिलती है।
    • अन्य घाटों की तुलना यह पर्यटकों के लिए ज्यादा बेहतर है।
    • हालांकि, यह सच है कि वाराणसी के अन्य घाटों पर भी छोटे पैमाने पर गंगा आरती का आयोजन होता है, लेकिन वे दशाश्वमेध और अस्सी घाट जितनी भव्य नहीं होती हैं। हालांकि भक्तों के बीच उनका भी अपना महत्व है।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।