Mauni Amavasya 2025: मौनी अमावस्या पर ऐसे करें पिंडदान, पितरों को मिलेगा मोक्ष, नोट करें शुभ मुहूर्त
मौनी अमावस्या (Mauni Amavasya 2025) के दिन मौन व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मौन व्रत करने से व्यक्ति का मन शांत होता है। साथ ही आध्यात्मिक शक्तियों का विकास होता है। इस खास अवसर पर लोग अपने पूर्वजों का तर्पण और पिंडदान (Pind Daan Vidhi) करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में महाकुंभ मेला जारी है। रोजाना अधिक संख्या में साधु संत और श्रद्धालु संगम में स्नान कर रहे हैं। वहीं, मौनी अमावस्या के दिन महाकुंभ का दूसरा अमृत (Mahakumbh 2025 Amrit Snan) स्नान है। पंचांग के अनुसार, इस बार मौनी अमावस्या का पर्व 29 जनवरी को मनाया जाएगा।धार्मिक मान्यता है कि मौनी अमावस्या के दिन पवित्र नदी में स्नान करने से पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही पितरों का तर्पण और पिंडदान करने से पूर्वजों को शांति मिलती है। साथ ही उनकी कृपा हमेशा बनी रहती है। ऐसे में आइए आपको बताएंगे कि मौनी अमावस्या पर पितरों के पिंडदान विधि के बारे में।
मौनी अमावस्या 2025 शुभ मुहूर्त (Mauni Amavasya 2025 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, मौनी अमावस्या की तिथि का प्रारंभ 28 जनवरी को रात 07 बजकर 35 मिनट पर हो रहा है। वहीं, इस तिथि का समापन 29 जनवरी को शाम को 06 बजकर 05 मिनट पर होगा। ऐसे में मौनी अमावस्या का पर्व 29 जनवरी को मनाया जाएगा।
पिंडदान विधि
- मौनी अमावस्या के दिन गंगा स्नान करें और इसके बाद सूर्य देव को अर्घ्य दें।
- पिंडदान सूर्योदय के दौरान करना शुभ माना जाता है।
- इसके बाद चौकी पर अपने पूर्वज की तस्वीर रखें।
- गाय के गोबर, आटा, तिल और जौ आदि से पिंड बनाएं।
- इसे पितरों को अर्पित करें।
- अब इसे पवित्र नदी में बहा दें।
- पिंडदान के दौरान पितरों का ध्यान करें। इसके अलावा पितरों की शांति के लिए मंत्रों का जप करें।
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ऐसे दूर करें पितृ दोष
अगर आप पितृ दोष का सामना कर रहे हैं, तो मौनी अमावस्या के दिन पूजा के दौरान पूर्वजों को भोग लगाएं। पितृ मंत्र का जप करें। इसके अलावा महादेव का विशेष चीजों से अभिषेक भी कर सकते हैं। अंत में अन्न और दान का दान करें। पितरों को शांति प्राप्ति के लिए कामना करें। माना जाता है कि इस उपाय को करने से पितृ दोष दूर होता है। साथ ही सुख-समृद्धि में वृद्धि होती है।
पितृ के मंत्र
1. ॐ पितृ देवतायै नम:।
2. ॐ आगच्छन्तु में पितर एवं ग्रहन्तु जलान्जलिम’
3. ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय च धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात।
4. ॐ पितृगणाय विद्महे जगत धारिणी धीमहि तन्नो पितृो प्रचोदयात्।
5. ॐ देवताभ्य: पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च
नम: स्वाहायै स्वधायै नित्यमेव नमो नम:
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