Masik Shivratri 2025: मासिक शिवरात्रि पर जरूर करें इस स्तुति और मंत्रों का जप, मिलेगा मनचाहा वर
पंचांग के अनुसार हर माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि पर मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2025) का व्रत किया जाता है। ऐसे में वैशाख माह की मासिक शिवरात्रि 26 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस तिथि पर भगवान शिव और माता पार्वती जी की पूजा-अर्चना की जाती है। ऐसे में आप इस दिन पर शिव जी के मंत्रों का जप कर विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मासिक शिवरात्रि का दिन शिव जी की पूजा के लिए बेहद खास माना गया है। इस दिन पर विधिवत रूप से शिव जी की पूजा-अर्चना करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। ऐसे में आप इस दिन पर महादेव के मंत्रों खासकर नटराज स्तुति का पाठ कर सकते हैं। चलिए पढ़ते हैं संपूर्ण नटराज स्तुति और शिव जी के मंत्र।
मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त (Masik Shivratri Puja Muhurat)
पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी 26 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 27 मिनट पर शुरू हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन 26 अप्रैल को प्रातः 04 बजकर 49 मिनट पर होगा। ऐसे में वैशाख माह की मासिक शिवरात्रि का व्रत शनिवार, 26 अप्रैल को किया जाएगा। इस दिन पूजा मध्य रात्रि में की जाती है, इसलिए पूजा का मुहूर्त इस प्रकार रहेगा -
मासिक शिवरात्रि पूजा मुहूर्त - रात 12 बजकर 12 मिनट से रात 12 बजकर 57 मिनट तक
।।संपूर्ण नटराज स्तुति पाठ।। (Nataraja Stuti)
सत सृष्टि तांडव रचयिता
नटराज राज नमो नमः…
हेआद्य गुरु शंकर पिता
नटराज राज नमो नमः…
गंभीर नाद मृदंगना धबके उरे ब्रह्माडना
नित होत नाद प्रचंडना
नटराज राज नमो नमः…
शिर ज्ञान गंगा चंद्रमा चिद्ब्रह्म ज्योति ललाट मां
विषनाग माला कंठ मां
नटराज राज नमो नमः…
तवशक्ति वामांगे स्थिता हे चंद्रिका अपराजिता
चहु वेद गाए संहिता
मासिक शिवरात्रि के दिन नटराज स्तुति पाठ का जप करने से आपको काफी लाभ मिल सकता है। इसके पाठ से शिव जी की कृपा से आपके जीवन में सुख-समृद्धि का वास बना रहेगा। साथ ही आप रोजाना भी इस स्तुति का पाठ कर सकते हैं।
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शिव जी के मंत्र -
शिव मूल मंत्र - ॐ नमः शिवाय॥
भगवान शिव का गायत्री मंत्र - ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
महामृत्युंजय मंत्र - ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् | उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ||
ध्यान मंत्र - करचरण कृतं वाक्कायजं कर्मजं वा। श्रवणनयनजं वा मानसं वापराधं। विहितमविहितं वा सर्वमेतत्क्षमस्व। जय जय करुणाब्धे श्रीमहादेव शम्भो ॥
रुद्र मंत्र - ॐ नमो भगवते रुद्राये।।
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