Masik Shivratri 2025: अप्रैल महीने में कब है मासिक शिवरात्रि? इस विधि से करें महादेव की पूजा
मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2025) पर भगवान शिव संग मां पार्वती की पूजा करने से साधक को मनचाहा वरदान मिलता है। वहीं विवाहित महिलाओं के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। ज्योतिष अविवाहित जातकों को जल्द शादी के लिए मासिक शिवरात्रि पर व्रत रखने की सलाह देते हैं। भगवान शिव की पूजा करने से दुखों का नाश होता है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। सनातन धर्म में मासिक शिवरात्रि का खास महत्व है। यह पर्व हर महीने कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन देवों के देव महादेव और जगत जननी मां पार्वती की पूजा की जाती है। साथ ही मनचाहा वरदान पाने के लिए व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। आइए, मासिक शिवरात्रि (Masik Shivratri 2025 Date) की सही डेट, शुभ मुहूर्त एवं योग जानते हैं-
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मासिक शिवरात्रि शुभ मुहूर्त (Masik Shivratri Shubh Muhurat)
वैदिक पंचांग के अनुसार, वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि 26 अप्रैल को सुबह 08 बजकर 27 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 27 अप्रैल को सुबह 04 बजकर 49 मिनट पर समाप्त होगी। सनातन धर्म में उदया तिथि मान है। इसके लिए 26 अप्रैल को मासिक शिवरात्रि मनाई जाएगी।
मासिक शिवरात्रि शुभ योग (Masik Shivratri Shubh Yog)
मासिक शिवरात्रि पर अभिजीत मुहूर्त का संयोग है। अभिजीत मुहूर्त दिन के 11 बजकर 53 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक है। इसके साथ ही सुबह 08 बजकर 27 मिनट तक भद्रावास योग बन रहा है। इन योग में भगवान शिव की पूजा करने से साधक की सारी मनोकामनाएं पूरी होंगी।
पंचांग
- सूर्योदय - सुबह 05 बजकर 45 मिनट पर
- सूर्यास्त - शाम 06 बजकर 53 मिनट पर
- ब्रह्म मुहूर्त - सुबह 04 बजकर 18 मिनट से 05 बजकर 01 मिनट तक
- विजय मुहूर्त - दोपहर 02 बजकर 31 मिनट से 03 बजकर 23 मिनट तक
- गोधूलि मुहूर्त - शाम 06 बजकर 52 मिनट से 07 बजकर 14 मिनट तक
- निशिता मुहूर्त - रात्रि 11 बजकर 57 मिनट से 12 बजकर 40 मिनट तक
पूजा विधि
मासिक शिवरात्रि के दिन ब्रह्म बेला में उठें। इस समय महादेव को प्रणाम करें। इसके बाद घर की साफ-सफाई करें। दैनिक कामों से निवृत्त होने के बाद गंगाजल युक्त पानी से स्नान करें। इसके बाद सूर्य देव को जल चढ़ाएं। इसके बाद पंचोपचार कर भक्ति भाव से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करें। इस समय भगवान शिव को फल, फूल, मिष्ठान आदि चीजें अर्पित करें। पूजा के समय शिव चालीसा का पाठ और शिव मंत्रों का जप करें। वहीं, पूजा के अंत में शिव आरती कर सुख और समृद्धि में वृद्धि की कामना करें।
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