Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति का क्यों है इतना महत्व, एक नहीं, बल्कि कई वजह बनाती हैं इसे खास
भारत वर्ष में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2025 Date) का पर्व बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। ऐसे में साल 2025 में मकर संक्रांति मंगलवार 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन पर खिचड़ी बनाने और पतंग उड़ाने की परंपरा है। तो चलिए जानते हैं कि हिंदू धर्म में इस दिन का इतना महत्व क्यों माना गया है।

धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2025) को स्नान और दान-पुण्य आदि कार्यों के लिए काफी शुभ माना गया है। मकर संक्रांति के दिन गंगा या फिर किसी अन्य पवित्र नदी में स्नान करना भी शुभ माना जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं इस दिन से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें।
मकर संक्रांति शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti 2025)
- मकर संक्रांति पुण्य काल - सुबह 07 बजकर 33 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक
- मकर संक्रांति महा पुण्य काल - सुबह 07 बजकर 33 मिनट से सुबह 09 बजकर 45 मिनट तक
- मकर संक्रांति का क्षण - सुबह 07 बजकर 33 मिनट तक
- संक्रांति करण - बालव
- संक्रांति नक्षत्र - पुनर्वसु
सफल हुई भागीरथ की तपस्या
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भागीरथ के कठोर तप के बाद मकर संक्रांति के दिन ही पवित्र नदी गंगा का धरती पर अवतरण हुआ था। और महाराज भागीरथ ने इसी दिन पर अपने पूर्वजों के लिए तर्पण किया था। हर साल मकर संक्रांति के अवसर पर ही पश्चिम बंगाल के गंगासागर में मेला भी लगता है, जिसमें लाखों की संख्या में भीड़ जुटती है।
जप-तप के लिए खास है यह दिन
मकर संक्रांति का दिन वह दिन भी है, जब सूर्य ग्रह का मकर राशि में प्रवेश करता है। इस दिन से सूर्य देव उत्तरायण हो जाते हैं। इस घटना को काफी शुभ माना जाता है। हिंदू शास्त्रों में उत्तरायण को देवताओं का दिन कहा गया है। ऐसे में मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य, स्नान, जप, तप आदि करने से साधक को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। इसी के साथ मकर संक्रांति पर खरमास का समापन भी होता है, जिससे विवाह आदि जैसे शुभ कार्य दोबारा शुरू हो जाते हैं।
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भीष्म पितामह ने त्यागे थे प्राण
भीष्म पितामह को इच्छा मृत्यु का वरदान प्राप्त था। अर्थात वह अपनी इच्छा से अपने प्राणों का त्याग कर सकते थे। कई दिनों तक बाणों की शैय्या पर लेटे रहने के बाद उन्होंने प्राण त्यागने के लिए मकर संक्रांति को ही चुना। क्योंकि ऐसा माना जाता है कि यदि सूर्य के उत्तरायण होने पर देह त्याग किया जाए, तो उस आत्मा को जन्म-मरण के काल के मुक्ति मिल जाती है।
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