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    Makar Sankranti: साल 2025 में इस दिन मनाई जाएगी मकर संक्रांति, जानें शुभ मुहूर्त और इसका महत्व

    भारत के कई हिस्सों में मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2025 Date) का त्योहार बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन पर खिचड़ी बनाने और खाने का भी विशेष महत्व है इसलिए कई स्थानों पर इसे खिचड़ी के नाम से भी जाना जाता है। साथ ही इस दिन पर स्नान और दान-पुण्य आदि का भी विशेष महत्व माना जाता है।

    By Suman Saini Edited By: Suman Saini Updated: Tue, 03 Dec 2024 03:57 PM (IST)
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    Makar Sankranti: साल 2025 में कब मनाई जाएगी मकर संक्रांति।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। मकर संक्रांति (Makar Sankranti 2025) का पर्व उस दिन मनाया जाता है, जब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करते हैं, इसलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं कि आने वाले साल यानी 2025 में मकर संक्रांति का त्योहार कब मनाया जाएगा और हिंदू धर्म में इसका क्या महत्व है।

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    मकर संक्रांति का शुभ मुहूर्त (Makar Sankranti Date and Time)

    साल 2025 में मकर संक्रांति मंगलवार, 14 जनवरी को मनाई जाएगी। इस दिन के लिए शुभ मुहूर्त कुछ इस प्रकार रहने वाला है -

    • मकर संक्रांति पुण्य काल - सुबह 07 बजकर 33 मिनट से शाम 06 बजकर 56 मिनट तक
    • मकर संक्रांति महा पुण्य काल - सुबह 07 बजकर 33 मिनट से सुबह 09 बजकर 45 मिनट तक
    • मकर संक्रांति का क्षण - सुबह 07 बजकर 33 मिनट तक
    • संक्रांति करण - बालव
    • संक्रांति नक्षत्र - पुनर्वसु

    क्यों इतनी खास है मकर संक्रांति

    हिंदू मान्यताओं के अनुसार, सूर्य का मकर राशि में प्रवेश करना काफी शुभ माना जाता है। मकर संक्रांति के दिन से सूर्य उत्तरायण हो जाते हैं और शास्त्रों में उत्तरायण के समय को देवताओं का दिन कहा गया है। इस दिन को दान, पुण्य स्नान, जप, तप और श्राद्ध कर्म के लिए बहुत ही उत्तम तिथि माना जाता है। साथ ही मकर संक्रांति पर ही खरमास की समाप्ति भी होती है, जिसके बाद शादी-विवाह जैसे शुभ और मांगलिक कार्य दोबारा से शुरू हो जाते हैं।

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    जरूर करें ये काम

    मकर संक्रांति के दिन सबसे पहले गंगा या फिर किसी अन्य पवित्र नदी में शुभ मुहूर्त में स्नान करें। इसके बाद जरूरतमंदों व गरीब लोगों में जूते, अन्न, तिल, गुड़, गरम वस्त्र, कंबल आदि का दान कर सकते हैं। ऐसा करने से साधक को भगवान सूर्य के साथ-साथ शनि देव की भी कृपा प्राप्त होती है। यदि नदी में स्नान करना संभव नहीं है, तो आप घर पर ही पानी में तिल और गंगाजल डालकर भी स्नान कर सकते हैं। इन कार्यों को करने से साधक के ग्रह-दोष दूर होते हैं।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।