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    Makar Sankranti 2025: मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू क्यों बनाए जाते हैं, क्या है मान्यता?

    मकर संक्रांति का दिन बेहद शुभ माना जाता है। इस साल यह पर्व 14 जनवरी को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान सूर्य की पूजा होती है। यह त्योहार हर साल भव्यता के साथ मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन (Makar Sankranti 2025) दान-पुण्य करने से घर में खुशहाली आती है। इसके साथ ही इस दिन को लेकर कई सारी मान्यताएं आइए उनके बारे में जानते हैं।

    By Vaishnavi Dwivedi Edited By: Vaishnavi Dwivedi Updated: Fri, 10 Jan 2025 04:13 PM (IST)
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    Makar Sankranti 2025: तिल के लड्डू का महत्व।

    धर्म डेस्क, नई दिल्ली। हिंदू धर्म के प्रमुख त्योहारों में से एक मकर संक्रांति का पर्व भी है। इस दिन भगवान सूर्य धनु से मकर राशि में प्रवेश करते हैं, तब मकर संक्रांति मनाई जाती है। यह दिन पूर्ण रूप से भगवान सूर्य को समर्पित है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान, दान-पुण्य और खिचड़ी खाने और दान करने की परंपरा है। इसके अलावा इस शुभ अवसर (Makar Sankranti 2025) पर तिल के लड्डू बनाए जाते हैं, जो इस इस दिन का मुख्य प्रसाद भी माना जाता है, तो आइए यहां पर जानते हैं कि आखिर इस दिन तिल के लड्डू बनाने के पीछे का कारण क्या है?

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    तिल के लड्डू (Sesame Ladoos Importance)

    मकर संक्रांति पर तिल के लड्डू बनाने और खाने का विशेष महत्व है। कहते हैं कि इस दिन का तिल से गहरा संबंध है और इसी कारण से इस त्योहार को तिल संक्रांति के नाम से भी जाना जाता है। माना जाता है कि तिल के बीज पर भगवान यम का आशीर्वाद होता है और यही कारण है कि उन्हें 'अमरत्व के बीज' के रूप में जाना जाता है। मकर संक्रांति के अवसर पर सलाह दी जाती है कि शनि या राहु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए मंदिरों में काले तिल चढ़ाने चाहिए। साथ ही गुड़ और सफेद तिल (Significance of Til and Jaggery) से बने तिल के लड्डू का सेवन भी करना चाहिए,

    क्योंकि गुड़ भगवान सूर्य को अति प्रिय है और गुड़ व तिल की तासीर गर्म होती है, जो स्वास्थ्य के लिए भी बहुत ही लाभदायक है। इन्हीं कारणों से इस मौके पर तिल के लड्डू खाने, बनाने और दान करने की परंपरा चली आ रही है।

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    मकर संक्रांति स्नान-दान समय (Makar Sankranti 2025 Snan Muhurat)

    वैदिक पंचांग के अनुसार, मकर संक्रांति पर महा पुण्यकाल प्रात: 09 बजकर 03 मिनट से 10 बजकर 48 मिनट तक रहेगा। इसके साथ ही पुण्य काल प्रात: 09 बजकर 03 मिनट से शाम 05 बजकर 46 मिनट तक रहेगा। इसके अलावा ब्रह्म मुहूर्त भोर 05 बजकर 27 मिनट से 06 बजकर 21 मिनट तक रहेगा।

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    अस्वीकरण: इस लेख में बताए गए उपाय/लाभ/सलाह और कथन केवल सामान्य सूचना के लिए हैं। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया यहां इस लेख फीचर में लिखी गई बातों का समर्थन नहीं करता है। इस लेख में निहित जानकारी विभिन्न माध्यमों/ज्योतिषियों/पंचांग/प्रवचनों/मान्यताओं/धर्मग्रंथों/दंतकथाओं से संग्रहित की गई हैं। पाठकों से अनुरोध है कि लेख को अंतिम सत्य अथवा दावा न मानें एवं अपने विवेक का उपयोग करें। दैनिक जागरण तथा जागरण न्यू मीडिया अंधविश्वास के खिलाफ है।